डॉक्टर से जानें मच्छरों से कैसे फैलता है फाइलेरिया (हाथी पांव) और क्यों खतरनाक है ये रोग

भारत में लगभग 65 करोड़ लोगों को फाइलेरिया होने का संभावित खतरा है। ऐसे में आपको भी इस बीमारी के लक्षण, खतरों और बचाव के बारे में जानना चाहिए।
  • SHARE
  • FOLLOW
डॉक्टर से जानें मच्छरों से कैसे फैलता है फाइलेरिया (हाथी पांव) और क्यों खतरनाक है ये रोग


क्या आपने ऐसे लोगों को देखा है, जिनका पांव या शरीर का कोई अंग सूजन के कारण बहुत भारी दिखाई देता है? ऐसा फाइलेरिया रोग के कारण हो सकता है, जिसे बोलचाल की भाषा में लोग 'हाथी पांव' बीमारी कहते हैं। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। गंभीर इस अर्थ में नहीं कि ये जानलेवा हो, बल्कि इस अर्थ में है कि ये बीमारी व्यक्ति को हमेशा के लिए अपंग या दिव्यांग बना सकती है। फाइलेरिया या लिम्फैटिक फाइलेरियासिस Lymphatic Filariasis (LF) मच्छरों के काटने से फैलने वाला रोग है। परेशानी की बात ये है कि इस बीमारी के लक्षण संक्रमित मच्छरों के काटने के 6-7 साल बाद दिखना शुरू होते हैं। और वो शुरुआती लक्षण भी इतने सामान्य होते हैं कि लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में लगभग 65 करोड़ लोगों को इस बीमारी का संभावित खतरा है। लेकिन ज्यादातर लोगों में ये बीमारी छिपी हुई अवस्था में होने के कारण इसका पता लोगों को नहीं चलता है।

ओनलीमायहेल्थ की टीम ने फाइलेरिया उन्मूलन के अभियान में लगे सीनियर पब्लिक हेल्थ कंसल्टैंट डॉ. एन. एस. धर्मशक्तु से बातचीत की है और उनसे बीमारी के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के उपायों के बारे में चर्चा की है। आइए आपको बताते हैं उन्होंने बीमारी के बारे में क्या कहा-

Lymphatic filariasis in Hindi

भारत में फाइलेरिया (हाथी पांव) कितनी बड़ी बीमारी है? (Lymphatic filariasis in India)

डॉ. धर्मशक्तु बताते हैं कि भारत में Lymphatic Filariasis (LF) के लगभग 2 करोड़ मरीज हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों में ये बीमारी इस स्टेज पर नहीं पहुंची है कि लक्षण सामने से दिखें, यानी उनके हाथ, पैरों में सूजन नजर आने लगे, जिसे हाथी पांव कहते हैं। हाथी पांव या इलिफैंटाइसिस (Elephantiasis) फाइलेरिया के बाद की स्टेज है। चूंकि इस बीमारी के ज्यादातर मरीज एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षणों वाले हैं, इसलिए कुछ लोगों को फाइलेरिया बड़ी बीमारी नहीं लगती है। भारत में फाइलेरिया यानी हाथी पांव के सबसे ज्यादा मरीज उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा और मध्यप्रदेश से सामने आते हैं। इन 8 राज्यों में ही भारत के लगभग 90% फाइलेरिया के मामले हैं।

इसे भी पढ़ें: छोटे बच्चों को मच्छरों से बचाना है तो अपनाएं ये 5 आसान उपाय, दूर रहेंगे डेंगू-मलेरिया

फाइलेरिया रोग कैसे होता है और कैसे फैलता है? (How Does Lymphatic Filariasis Spread?)

फाइलेरिया रोग संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। लेकिन किसी संक्रमित मच्छर के एक बार काटने से ये बीमारी नहीं फैलती है, बल्कि जब कई बार संक्रमित मच्छर काटते हैं, तो धीरे-धीरे ये बीमारी शरीर में पनपती है। मच्छरों के द्वारा माइक्रो फाइलेरिया व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं और यहीं से बीमारी की शुरुआत होती है। प्रारंभिक अवस्था में बहुत सामान्य लक्षण नजर आते हैं, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। सही से इलाज न होने पर बाद में फिर गंभीर लक्षण भी दिखते हैं। लेकिन एक खास बात ये है कि फाइलेरिया या हाथी पांव होने के कारण व्यक्ति की मौत नहीं होती है, यानी ये बीमारी आमतौर पर जानलेवा नहीं होती है।

firaliasis symptoms in hindi

फाइलेरिया रोग के शुरुआती और एडवांस लक्षण क्या हैं? (Early And Advance Symptoms of Lymphatic Filariasis)

फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं, जैसे-

  • अचानक बुखार आना (आमतौर पर ये बुखार 2-3 दिन ठीक हो जाता है)
  • हाथ-पैरों में खुजली होना
  • एलर्जी की समस्या और त्वचा की समस्या
  • स्नोफीलिया की समस्या

एडवांस स्टेज में इस बीमारी के लक्षण थोड़े गंभीर हो जाते हैं, जो सामने से दिखाई देने लगते हैं, जैसे-

  • व्यक्ति के हाथों, भुजाओं (Arms) में सूजन
  • पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना (इसे ही हाथी पांव कहा जाता है)
  • अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील की समस्या)

डॉ. धर्मशक्तु बताते हैं कि कई बार एडवांस स्टेज में व्यक्ति के अंडकोष में इतनी ज्यादा सूजन आ जाती है कि वो लटकने लगता है और व्यक्ति के लिए पैंट पहनना भी मुश्किल हो जाता है।

फाइलेरिया का पता लगाने के लिए टेस्ट कैसे किया जाता है? (Test For Lymphatic Filariasis)

फाइलेरिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। लेकिन ये ब्लड टेस्ट रात में किया जाता है। इसका कारण यह है कि माइक्रो फाइलेरिया के पैरासाइट दिन में लिम्फैटिक सिस्टम में आराम करते हैं और रात के समय ब्लड में आते हैं। इसलिए इस बीमारी का टेस्ट रात में करना पड़ता है। ब्लड के सैंपल में माइक्रो फाइलेरिया के पैरासाइट मिलने पर बीमारी की पुष्टि हो जाती है।

filariasis treatment and medicine

फाइलेरिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment of Lymphatic Filariasis)

फाइलेरिया से बचाव के लिए आमतौर पर 2 दवाएं प्रयोग की जाती हैं। पहली Diethylcarbamazine (DCE) और दूसरी एल्बेंजाडोल (Albendazole)। लेकिन इन दवाओं का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी न करें। ये दवाएं सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाती हैं। इसके अलावा जिन इलाकों में फाइलेरिया का खतरा होता है, वहां सार्वजनिक रूप से लोगों को ये दवाएं बांटी जाती हैं, जिससे फाइलेरिया को रोकने में मदद मिले। डॉ. धर्मशक्तु बताते हैं कि फाइलेरिया को रोकने का सबसे कारगर तरीका यही है कि खतरे वाले इलाकों में सभी लोगों को, इन दवाओं को नियमित अंतराल पर खिलाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: पैरों में सूजन की समस्या बनी रहती है तो इन 4 नैचुरल तरीकों से करें घर पर इलाज, जल्द मिलेगा आराम

फाइलेरिया से बचाव के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? (Tips for Prevention of Lymphatic Filariasis)

  • अपने आसपास साफ-सफाई रखें और पानी जमा न होने दें, ताकि पानी में मच्छर न पनपें।
  • मच्छरों से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें या अन्य उपाय अपनाएं।
  • ऊपर बताए गए शुरुआती लक्षणों के दिखने पर ही तुरंत अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक्ता होने पर जांच कराएं।
  • अगर आपके इलाके में सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी फाइलेरिया की दवा बांट रहे हैं, तो इसे जरूर खाएं, भले ही आपमें कोई लक्षण दिखें अथवा नहीं।

अपने तरह फाइलेरिया जैसी गंभीर और संक्रामक बीमारी को रोकने में और इससे बचाव में आप खुद की, अपने परिवार और समाज की मदद कर सकते हैं। इस बीमारी के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक कीजिए और खुद भी सजग और स्वस्थ रहिए।

Read More Articles on Other Diseases in Hindi

Read Next

रोजमर्रा की कई समस्याओं में बड़े काम आ सकता है आक (मदार) का फूल, जानें इसके 7 फायदे और इस्तेमाल का तरीका

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version