टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) यह एक खतरनाक संक्रामक बीमारी है। जिसकी चपेट में न केवल वयस्क बल्कि बच्चे भी आ रहे हैं। टीबी को तपेदिक या क्षय रोग भी कहते हैं। यह फेफडे़ से संबंधित बीमारी है, जो बच्चों पर सीधा प्रहार कर रही है। इससे बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होने होती है। बच्चों के अंग नाजुक होने की वजह से टीबी का असर उन पर ज्यादा होता है। इस घातक बीमारी के कारण बच्चे की मौत भी हो सकती है। इसलिए अभिभावक अपने बच्चे का विशेष रूप से ध्यान रखें। बच्चे में टीबी के कोई भी लक्षण नजर आने पर उसे नजरअंदाज न करें, तुरंत डाक्टर की सलाह लें।
बच्चों में तपेदिक के प्रकार
बच्चों में तपेदिक यानि टीबी कई प्रकार की हो सकती है। जैसे-
- बाल टीबी।
- प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी।
- मिलियरी टीबी।
- दिमाग की टीबी।
- हड्डी की टीबी।
अभिभावकों से बच्चों में टीबी
अधिकांश बच्चों में टीबी फेफड़ों के अलावा दूसरे अंगों में ज्यादा होती है। जिसे एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। बच्चों में टीबी का एक बड़ा कारण उसके अभिभावक या परिवार के लोग भी हो सकते है। यदि आपके घर-परिवार में किसी व्यक्ति को टीबी की बीमारी है, तो आपके बच्चे में रोग की संभावना बढ़ जाती है। इसके पीछे वजह यह है कि अगर बच्चा, टीबी के मरीज के सम्पर्क में आता है तो उसे टीबी होने का ज्यादा खतरा होता है। बच्चों में टीबी की पहचान करना मुश्किल है। सामान्य रूप से बच्चे में टीबी के लक्षण इस प्रकार हैं।
खांसी आना
टीबी का सबसे बड़ा लक्षण लगातार खांसी का होना है। अगर आपके बच्चे को दो हफ्ते या उससे अधिक खांसी होती है, तो यह टीबी का एक लक्षण हो सकता है। बच्चे को पहले सूखी खांसी आना और बाद में खांसी के साथ बलगम में खून आना यह इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा टीबी रोग में बच्चे को खांसी के दौरान सांस रूकना व सांस लेते वक्त बच्चे की सांस फूलना और ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होना भी हो सकता है। इन सब लक्षणों का नजरअंदाज न करें। समय पर इलाज ही बचाव है।
बुखार आना
ट्यूबरकुलोसिस के कीटाणु बच्चे के फेफड़े से शरीर व अन्य अंगों में बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं। प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी में बच्चा ज्यादा बीमार रहता है। इसके कारण बच्चे को हल्का बुखार लगातार बना रहता है। इसकी वजह से बच्चे में चिड़चिड़ापन भी ज्यादा हो जाता है। इसी कारण बच्चे को सोते वक्त पसीना आने लगता है। इसमें बच्चे को बुखार चढ़ता और उतरता रहता है। इसलिए कई बार अभिभावक इसे हल्के में ले लेते हैं।
वजन कम होना
टीबी के कारण बच्चा कुपोषण और एनिमिया का शिकार भी हो सकता है। टीबी होने पर बच्चे का वजन घटने लगता है। इसके अलावा बच्चे की भूख कम हो जाती है या फिर बच्चा ठीक खाना खाने पर भी कमजोर होता है। इसलिए इस बात को अभिभावक ध्यान रखें। यदि आपके बच्चे का वजन लगातार कम हो रहा है, तो उसके लिए बच्चे के स्वास्थ्य की जांच जरूर करायें।
सुस्त रहना
खांसी और बुखार के कारण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम हो जाती है। जिससे कारण बच्चे की एनर्जी बहुत कम हो जाती है। ऐसे में बच्चा सुस्त व थका हुआ महसूस करता है। थोड़ी चलने पर या खेलने पर भी बच्चे को थकान होने लगती है और किसी भी प्रकार के खेल में मन नहीं लगता।
त्वचा पर असर
टीबी के कारण बच्चे की त्वचा पर भी गहरा असर पड़ता है। क्योंकि बच्चे की त्वचा बहुत ही नाजुक होती है इसलिए टीबी होने पर बच्चे की त्वचा पीली पढ़ने लगती है। टीबी से बच्चे की त्वचा पर और भी कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं, जिसमें उसकी त्वचा पर दाग या एलर्जी हो सकती है।
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माता-पिता याद रखें ये टिप्स
- अगर आपको बच्चे में टीबी के कोई भी लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें और टीबी का कोर्स पूरा जरूर करवाएं।
- टीबी का मरीज जब तक पूरी तरह ठीक नहीं हो, तब तक बच्चे को टी.बी से ग्रस्त मरीज से दूर रखें।
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- टीबी का पता चलने पर जिला टीबी अधिकारी को सूचित कर सकते हैं। इससे आपको इलाज में मदद मिलेगी।
- बच्चे को चेहरे या मुंह पर न चूमें इससे भी बच्चे को टीबी का खतरा बढ़ता है।
- यदि घर में छोटा बच्चा हो तो घर में धू्म्रपान न करें। धूम्रपान से व्यक्ति के साथ-साथ बच्चे को भी टीबी का खतरा हो सकता है।
- बच्चे को पौष्टिक और संतुलित आहार दें, इससे टीबी का इलाज आसान हो जाता है।
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