हम लोग बचपन से दूध पीते आए हैं। हम यह भी सुनते आए हैं कि दूध सेहत के लिए अच्छा होता है। दूध ही नहीं, इससे बने अन्य आहार जैसे- दही, छाछ, घी, मक्खन और पनीर के भी अपने फायदे हैं। पौष्टिक तत्वों से भरपूर दूध अपने आप में संपूर्ण आहार है इसलिए मनुष्यों के साथ-साथ बहुत सारे जानवरों के बच्चे भी मां के दूध के साथ ही बड़े होते हैं। बड़े होने पर बहुत से लोग दूध पीना छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व उन्हें खाने की चीजों से मिल जाएंगे। इसके अलावा दूध को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम भी हैं, जिनके कारण लोग दूध पीना बंद कर देते हैं। लोग समझ नहीं पाते हैं कि दूध का उपयोग कब, कितना और किस समय किया जाए। अगर आपकी भी यही परेशानी है, तो हम आपकी मदद करते हैं।
क्या स्किम्ड, टोंड से बेहतर है फुल क्रीम?
स्किम्ड मिल्क में एक फीसदी से भी कम फैट होता है। पांच साल से बड़े बच्चे इसे आराम से पी सकते हैं। इसमें विटमिन ए और डी ऊपर से डाले जाते हैं ताकि फैट निकालने के दौरान घटने वाले विटामिंस की पूर्ति आसानी से हो सके। इसके अलावा टोंड मिल्क में भी कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होता है। इसलिए ये सोचना कि सिर्फ फुलक्रीम दूध से ही पोषण मिलेगा गलत है।
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जितना चाहें, दूध पी सकते हैं?
जरूरत से ज्यादा दूध पीने से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। कैल्शियम आयरन सोखने के प्रोसेस में रुकावट डालता है। बच्चे अगर दूध ज्यादा पीते हैं तो उनका वजन कम रह जाता है क्योंकि दूध से पेट भरने के बाद वे पूरा खाना नहीं खाते। प्रोटीन रिच होने के कारण भूख भी कम लगती है।
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मिल्क पाउडर का प्रयोग नहीं करना चाहिए?
अगर आप गाय और भैंस का अशुद्ध दूध पीते हैं तो इस दूध के मुकाबले पाउडर मिल्क बेहतर है क्योंकि गाय या भैंस के दूध में मिलावट की गुंजाइश होती है। हां, अगर अपने सामने दूध निकलवा कर लेते हैं तो गाय या भैंस का दूध पीने में कोई खराबी नहीं है।
गाय या भैंस, किसका दूध बेहतर है?
भैंस के दूध में गाय के दूध के मुकाबले ज्यादा फैट होता है। गाय के 100 मिली दूध में करीब 65-70 कैलरी होती है, जोकि मां के दूध जितनी ही है। गाय के दूध में फैट भी कम होता है। भैंस के 100 मिली दूध में 117 कैलरी होती है। मोटापे से ग्रस्त लोगों को भैंस के दूध से परहेज करना चाहिए और कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को गाय के दूध से।
टोंड या डबल टोंड दूध
कोलेस्ट्रॉल और फैट से बचने के लिए टोंड या डबल टोंड दूध पीना बेहतर है। फुल क्रीम दूध में 7-8त्न, टोंड में 3त्न और डबल टोंड दूध में 1.5त्न तक फैट होता है। बच्चों को फुल क्रीम मिल्क ही देना चाहिए। 6 महीने तक के बच्चों के लिए मां का दूध ही बेहतर होता है। बच्चों को 1 साल के बाद पैकेट वाला फुल क्रीम दूध दे सकते हैं। टेट्रा पैक दूध टेट्रा पैक दूध की क्वॉलिटी बाकी दूध से बेहतर नहीं होती। बस, पैकिंग का फर्क है। यह सच है कि इस पैकिंग में दूध लंबे वक्त तक खराब नहीं होता लेकिन यह गलत है कि टेट्रा पैक दूध दूसरे दूध से बेहतर है।
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दूध में केवल कैल्शियम होता है
बच्चों को बचपन से मां-बाप द्वारा और स्कूल कॉलेज में बताया जाता है कि दूध कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। इसी कारण बहुत से लोग ये मानने लगते हैं कि दूध में कैल्शियम बहुत होता है। जबकि ऐसा नहीं है, दूध में कैल्शियम के अलावा भी ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं और दूध से ज्यादा कैल्शियम वाले आहार भी बहुत सारे हैं। सच्चाई ये है कि गाय के दूध में मौजूद कैल्शियम को हमारा शरीर ठीक से पचा नहीं पाता है इसलिए इसमें मौजूद सभी कैल्शियम का लाभ हमें नहीं मिलता है। इसके लिए कैल्शियम युक्त अन्य आहार जैसे हरी सब्जियां, पालक, ब्रॉक्ली, सोयाबीन आदि में का भी सेवन करना चाहिए।
सोयामिल्क अच्छा नहीं है
कुछ लोग मानते हैं कि गाय और भैंस का दूध ही सबसे अच्छा और पौष्टिक होता है और सोया मिल्क बेकार होता है। जबकि सोया मिल्क में भी गाय या भैंस के दूध की तरह तमाम फायदेमंद पोषक तत्व होते हैं, जैसे- कैल्शियम, विटमिन डी और प्रोटीन। सोया मिल्क का फायदा यह है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल या सैचुरेटेड फैट नहीं होता, जबकि गाय या भैंस के दूध में ये पाए जाते हैं।
फ्लेवर्ड मिल्क अच्छा नहीं होता?
फ्लेवर्ड मिल्क में भी आम दूध की तरह तमाम न्यूट्रिएंट्स होते हैं। बच्चे इसे आराम से पी सकते हैं। हालांकि चीनी की मात्रा ज्यादा होने की वजह से फिजिकली ज्यादा ऐक्टिव न रहने वाले लोग इसे कम पिएं तो अच्छा है। बाकी इस दूध को पीने से कोई नुकसान नहीं है।
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