इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का दवाओं से ऐसे करें उपचार

शारीरिक के अलावा, यूरीन और ब्‍लड की जांच के द्वारा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम बीमारी का पता लगाकर, यदि व्यक्ति को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पाया जाता है, तो डॉक्टर इसका इलाज दवाइयों से करते हैं, आइए जानें कैसे
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का दवाओं से ऐसे करें उपचार


इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक ऐसी समस्‍या है, जिसमें बड़ी आंत प्रभावित होती है। इसमें मरीज को पेट में दर्द, ऐंठन, भूख न लगना, कब्ज या दस्त लग जाना जैसे लक्षण नजर आते हैं। वहीं कुछ मरीजों में इन लक्षणों के अलावा, जी मिचलाना, मल में असामान्य तरल निकलना जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं। हालांकि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक बेहद आम समस्‍या है, और ज्यादातर व्यक्ति इससे पीड़ित पाए जाते हैं, लेकिन इसके लक्षण इतने कम होते हैं, कि ज्यादातर मरीजों को खुद भी इस बीमारी का पता नहीं चल पाता और वह इसकी जांच के लिए डॉक्टर के पास भी नहीं जाते। लेकिन कुछ लोगों में यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और उनमें इसके लक्षण ज्यादा उभर कर नजर आने लगते हैं, तब डॉक्टरी जांच के बाद इस बीमारी की पुष्टि होती है।

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बीमारी की जांच

डॉक्टर शारीरिक जांच और लक्षणों के आधार पर इस बीमारी की जांच करते हैं। शारीरिक जांच के अलावा, यूरीन और ब्‍लड की जांच के द्वारा भी इस बीमारी का पता लगाया जाता है। यदि जांच में व्यक्ति को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पाया जाता है, तो डॉक्टर इसका इलाज दवाइयों से करते हैं।


लक्षणों के आधार पर दवाई

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए दवाइयां इसके लक्षणों के आधार पर दी जाती है। जैसे, अगर किसी मरीज में इसकी शुरुआत हुई है और पेट में दर्द, ऐंठन, कब्ज या दस्त जैसे हल्‍के फुल्‍के लक्षण नजर आ रहें हैं, तो डॉक्टर इन समस्याओं की दवाएं देते हैं। लेकिन अगर बीमारी बढ़कर घातक स्‍टेज पर जा चुकी है, और मरीज को बुखार, शरीर में पानी की कमी और ब्‍लड में कमी जैसे लक्षण दिखाई दे रहें है तो डॉक्टर इन समस्याओं को ध्यान में रहते हुए मरीज को दवाएं देते हैं।

हालांकि, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्या का इलाज मुश्किल नहीं होता, लेकिन इस बीमारी और इससे होने वाली समस्याओं को ठीक होने में थोड़ा वक्त जरूर लगता है और यह लक्षण धीरे-धीरे ठीक होते हैं। इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, का इलाज करते समय सबसे पहले डॉक्‍टर यह देखते हैं कि मरीज को कौन से लक्षण सबसे ज्यादा परेशान कर रहे है। उदाहरण के तौर पर, यदि मरीज को बुखार या दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी से बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है, तो सबसे पहले इन्हीं के लिए दवाएं देते हैं।

साथ ही, एक बार दवाएं दिए जाने के बाद, आपको डॉक्टर दोबारा जल्द बुलाता है, ताकी वह इस बात की जांच कर सकें कि कहीं दवाओं के साइड इफेक्‍ट तो नहीं हो रहे हैं या दी गई दवाएं आपको फायदा पहुंचा रही है, या नहीं। क्योंकि ऐसा होने पर आपका दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के मरीजों में तनाव की समस्या भी हो सकती है और इसके कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम और गंभीर हो जाता है। इसलिए डॉक्टर तनाव होने पर उसकी भी दवाएं भी दे सकते हैं।

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Image Source : Getty

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