ई-सिगरेट पीना भी सेहत के लिए है खतरनाक, कैंसर समेत फेफड़े के कई रोगों का खतरा

बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि ई-सिगरेट, तंबाकू वाली सिगरेट से कम नुकसानदायक होती है। यही कारण है कि युवाओं में सिगरेट के बाद, अब ई-सिगरेट का ट्रेंड काफी बढ़ रहा है। हालांकि तमाम रिसर्च ये बताती हैं कि ई-सिगरेट भी सिगरेट के जितनी ही नुकसानदायक है और इससे भी कैंसर का खतरा होता है। यही कारण है कि अब तक भारत के 12 राज्यों ने ई-सिगरेट पर बैन लगाया है। आइए आपको बताते हैं कि ई-सिगरेट पीने का आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
ई-सिगरेट पीना भी सेहत के लिए है खतरनाक, कैंसर समेत फेफड़े के कई रोगों का खतरा

बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि ई-सिगरेट, तंबाकू वाली सिगरेट से कम नुकसानदायक होती है। यही कारण है कि युवाओं में सिगरेट के बाद, अब ई-सिगरेट का ट्रेंड काफी बढ़ रहा है। एक्शन ऑन स्मोकिंग एण्ड हेल्थ (ऐश) के मुताबिक दुनियाभर में पिछले कुछ सालों में ई-सिगरेट पीने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। हालांकि तमाम रिसर्च ये बताती हैं कि ई-सिगरेट भी सिगरेट के जितनी ही नुकसानदायक है और इससे भी कैंसर का खतरा होता है। यही कारण है कि अब तक भारत के 12 राज्यों ने ई-सिगरेट पर बैन लगाया है। आइए आपको बताते हैं कि ई-सिगरेट पीने का आपके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।

ई-सिगरेट में नहीं इस्तेमाल होता तंबाकू

आपने सरकारी विज्ञापनों में सुना होगा कि तंबाकू से कैंसर होता है। चूंकि ई-सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तरह तंबाकू का इस्तेमाल नहीं किया जाता है इसलिए लोग इसे सुरक्षित मान लेते हैं। ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर है, जिसमें निकोटीन और अन्य केमिकलयुक्त लिक्विड भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड को भरा जाता है वो कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक केमिकल। इसलिए ई-सिगरेट को सेहत के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।

इसे भी पढ़ें:- छोड़ना चाहते हैं सिगरेट तो ये हैं 5 आसान टिप्स, नहीं होगी बेचैनी

ई-सिगरेट से भी कैंसर का खतरा

सिगरेट हमारी कोशिकाओं को मार देता है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में भी कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता होती है। ई-सिगरेट धीर-धीरे हमारी कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा होता है। ई-सिगरेट के दो मशहूर ब्रांडों के धुएं का टेस्ट शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं से संपर्क कराया। शोध के दौरान जो कोशिकाएं धुएं के संपर्क में नहीं आई वे स्वस्थ रहीं और जो कोशिकाएं धुएं के संपर्क में आई वो या तो मर गई या क्षतिग्रस्त हो गई।

युवाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है ई-सिगरेट

टीन एज में ई-सिगरेट के सेवन से पीने वाले के दिमाग की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और उसकी मेमोरी जा सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान ई-सिगरेट्स के इस्तेमाल से गर्भपात का भी खतरा होता है और बच्चे के दिमागी विकास में अवरोध भी हो सकता है। ज्यादातर ई-सिगरेट्स में जो केमिकल भरा जाता है वो लिक्विड निकोटिन होता है। निकोटिन दिल और सांस के मरीजों के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।

इसे भी पढ़ें:- जानें दिल को कैसे और कितना प्रभावित करता है धूम्रपान

निकोटिन लगाती है सिगरेट की लत

निकोटिन नशीला पदार्थ है इसलिए पीने वाले को इसकी लत लग जाती है। थोड़े दिन के ही इस्तेमाल के बाद अगर पीने वाला इसे पीना बंद कर दे, तो उसे बेचैनी और उलझन की समस्या होने लगती है। इसके अलावा कुछ ब्राण्ड्स ई-सिगरेट में फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद खतरनाक और कैंसरकारी तत्व है।

ई-सिगरेट से फेफड़े होते हैं खराब

इन ई-सिगरेट्स में डाईएसिटाइल नाम के बहुत खतरनाक तत्व का इस्तेमाल किया जाता है, जो फेंफड़ों के लिए बहुत हानिकारक होता है। इनके इस्तेमाल से फेफड़ों के कैंसर के अलावा 'पॉपकॉर्न लंग' नामक खतरनाक बीमारी भी होने का खतरा होता है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Miscellaneous In Hindi

Read Next

लोहे के बर्तनों में खाना पकाने से खून की कमी होती है दूर, बढ़ता है हीमोग्‍लोबिन

Disclaimer