
आप में से बहुत से लोग होंगे, जिनकी सुबह 1 कप कॉफी के साथ होती होगी। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दिन में कई दफा चाय या कॉफी पीते हैं, तो अगर आप भी कॉफी के शौकीनों में से एक हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। रोजाना कई कप कॉफी पीने से आपका हृदय स्वास्थ्य बेहतर रहता है और यह मेटाबॉलिक सिंड्रोम के विकास के खतरे को कम करने में मददगार है। इस बात का खुलासा हाल में हुए एक अध्ययन में हुआ है।
कॉफी आपकी सुस्ती और आलस को दूर करने में भी मददगार है और इतना ही नहीं, कॉफी में कैफीन के उत्तेजक गुण तुरंत आपके मूड और इंद्रियों को ऊपर उठाते हैं। ऐसा कहा जा सकता है कि कॉफी पीने के आपको एक नहीं कई स्वास्थ्य लाभ हैं।
इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इंफॉर्मेशन ऑन कॉफ़ी (ISIC) की एक रिर्पोट की मानें, तो कॉफी में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के विकास के जोखिम को कम करने की क्षमता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई अन्य बीमारियों का रास्ता खोलता है, जिसमें मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कार्डियोवस्कुलर यानि दिल से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार, मेटाबॉलिक सिंड्रोम को दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ाता है, जिसमें कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक शामिल हैं।
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इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इंफॉर्मेशन ऑन कॉफ़ी (ISIC) की इस रिपोर्ट का शीर्षक 'कॉफ़ी एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम: ए रिव्यू ऑफ़ द लेटेस्ट रिसर्च’है। यह आयरलैंड के डबलिन में फेडरेशन ऑफ यूरोपियन न्यूट्रिशन सोसाइटीज (FENS) द्वारा आयोजित 13 वें यूरोपीय न्यूट्रिशन सम्मेलन में ISIC द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में चर्चा किए गए शोध के प्रमुख निष्कर्षों का वर्णन करता है।
अध्ययन के सहायक प्रोफेसर गिउसेप ग्रोसो ने पोलिश और इतालवी समूहों में कॉफी की खपत और मेटाबोलिक सिंड्रोम के बीच सहयोग पर अपने स्वयं के वैज्ञानिक अनुसंधान की समीक्षा की और दृष्टिकोण का पता लगाया। इस अध्ययन से पता चला कि कॉफी में मौजूद यौगिक, पॉलीफेनोल्स और विशेष रूप से फेनोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स आपके मेटाबॉलिक सिंड्रोम के खतरे को कम करने में सहायक हैं।
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अध्ययन में बहुत अधिक कॉफी के सेवन के खिलाफ भी चेतावनी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि कॉफी की खपत एक दिन में 1-4 कप को मेटाबॉलिक सिंड्रोम की कमी के साथ जोड़ा जा सकता है। यह हृदय रोगों, कैंसर, उच्च ब्लडप्रेशर और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि मॉडरेशन में कॉफी पीने के सकारात्मक प्रभाव पुरुषों और महिलाओं दोनों में देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, कैफीनयुक्त और डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी दोनों ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कम जोखिम से जुड़ी हो सकती हैं।
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