धूप में घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाना जरूरी है- आपने भी ये बात कई बार घर में, टीवी विज्ञापनों में या सोशल मीडिया पर इंफ्लुएंसर्स के वीडियोज में जरूर सुनी होगी। मगर क्या आप जानते हैं कि सनस्क्रीन पहली बार 1932 में ऑस्ट्रेलिया में बनाया गया था? इसके बाद साल 1946 में इसे कॉर्मशियल रूप से पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स में बेचा गया। भारतीय बाजार की बात करें, तो सनस्क्रीन पिछले 15-20 सालों में ही ज्यादा पॉपुलर हुआ है। यानी सनस्क्रीन का कुल इतिहास 70-75 साल से ज्यादा का नहीं है। अब सवाल ये उठता है कि धूप तो आज से सैकड़ों साल पहले भी रहा करती थी और इतिहास देखें तो पता चलता है कि उन दिनों लोग धूप में आज के लोगों से ज्यादा समय बिताते थे। तो क्या हजारों साल तक इंसान धूप से होने वाले स्किन डैमेज को झेलता रहा? और क्या वाकई हमारी स्किन को धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन की जरूरत पड़ती है? इस लेख में हम आपको इन्हीं सवालों का जवाब देने की कोशिशि करेंगे।
क्या वाकई हमारी स्किन के लिए सनस्क्रीन बहुत जरूरी है?
दरअसल सनस्क्रीन के पक्ष में अपनी बात रखने वाले लोग ये दावा करते हैं कि यह आपकी स्किन को धूप की अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाले डैमेज से बचाता है। पिछले कुछ सालों में इसी बात को लेकर हजारों ब्रांड्स ने अलग-अलग तरह के सनस्क्रीन मार्केट में उतार दिए हैं। लेकिन Indian Journal of Dermatology, Venereology And Leprology (IADVL) में छपी रिपोर्ट कुछ और कहती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक सनस्क्रीन ऐसे लोगों के लिए जरूरी हो सकती है, जिनकी स्किन बहुत पतली और सफेद होती है (पश्चिमी देशों के लोग) क्योंकि पतली और सफेद स्किन में मेलानिन की मात्रा कम होती है, जिससे धूप की अल्ट्रावायलेट किरणें इसे भेदकर त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। लेकिन ऐसे लोग जिनकी त्वचा सांवली या काली है (भारतीय मूल) उनके शरीर में पहले से एक तरह का इनबिल्ट मैकेनिज्म होता है, जो धूप की अल्ट्रावायलेट किरणों से उनकी रक्षा कर सकता है। इसका कारण यह है कि सांवली और काली त्वचा में मेलानिन ज्यादा बनता है और इनका एपिडर्मिस मोटा होता है, जिससे अल्ट्रावायलेट किरणें पतली स्किन वाले लोगों के मुकाबले इनकी त्वचा को बहुत कम नुकसान पहुंचा पाते हैं। गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों में मेलानिन नैचुरल रूप से एक छाते की तरह काम करता है, जो धूप को बाहर ही रोक लेता है।
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इंडियन लोगों को गहरे रंग की स्किन के कारण उठाना पड़ता है ये नुकसान
ऊपर बताई गई बात पढ़कर अगर आप खुश हो रहे हैं, तो रुकिए! हम भारतीयों का गहरा रंग हमें धूप से होने वाले डैमेज से तो बचाता है लेकिन इसका एक नुकसान भी हमें उठाना पड़ता है और वो ये कि ज्यादा मेलानिन के कारण हमारी स्किन के नीचे विटामिन D3 कम बनता है। जी हां, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में छपी एक स्टडी के मुताबिक डार्क स्किन में व्हाइट स्किन के मुकाबले कम विटामिन डी बनता है। विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ-साथ कई तरह के कैंसर से बचाव में भी मदद करता है। कुल मिलाकर डार्क स्किन के कुछ फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं।
तो क्या आपको सनस्क्रीन नहीं लगाना चाहिए?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने बात की इंदौर स्थित स्किन क्लीनिक Cosmetic Mantra के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. सुशील कुमार से। उन्होंने हमें बताया कि, "इस संदर्भ में मौजूद ज्यादातर रिसर्च विदेशों में ही हुई हैं। इसलिए भारतीय परिप्रेक्ष्य में सनस्क्रीन कितना महत्वपूर्ण है इस बारे में और रिसर्च की जानी चाहिए। मगर मेरा मानना ये है कि सनस्क्रीन हर किसी के लिए जरूरी नहीं हैं। मेडिकल दृष्टि से देखें तो कुछ स्किन कंडीशन्स में व्यक्ति को सनस्क्रीन की जरूरत पड़ सकती है, जैसे-मेलाज्मा। इसके अलावा ऐसे लोग जिनकी स्किन बहुत ज्यादा फेयर (Fitzpatrick type 2 or type 3 skin) है, या जो लोग पहाड़ों और समुद्र किनारे रहते हैं, जहां धूप बहुत तेज होती है, वो सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे लोगों को भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें सीधी धूप में हर दिन देर तक काम करना पड़ता है। मगर ऐसे लोग, जो ज्यादातर समय छांव में बिताते हैं उनके लिए मंहगे-मंहगे सनस्क्रीन्स पर पैसा खर्च करना बेकार है। बाजार में मिलने वाले सनस्क्रीन्स में मौजूद कई केमिकल्स त्वचा पर मुंहासों का कारण बन सकते हैं। यहां मजेदार बात ये है कि ज्यादातर लोग जो दिनभर धूप में काम करते हैं, वो बेचारे सनस्क्रीन के बारे में जानते नहीं या अफोर्ड नहीं कर सकते। जबकि दिनभर ऑफिस और घरों में बैठने वाले लोग इसे जरूर लगाकर रखते हैं।"
इस लेख को पढ़ने के बाद शायद आपके लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना आसान हो गया होगा कि आपको सनस्क्रीन लगाना चाहिए या नहीं। अगर ये लेख आपको पसंद आया, तो इसे दूसरों के साथ शेयर करें। सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें Onlymyhealth.com के साथ।