नींद की कमी या नींद न आने की परेशानी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक दुर्बलताओं से जुड़ी हुई है। ये नकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकती है, जैसे कि चिंता, बेचैनी और उदासी। पर क्या आपको पता है कि नींद की कमी आपके ब्लड प्रेशर और गुस्से को भी प्रभावित कर सकता है? वहीं ये दोनों आपके व्यवहार को भी प्रभावित करता है, जो आपका निजी और आर्थिक नुकसान भी कर सकता है। वो कैसे? आइए हम आपको बताते हैं।
नींद और आपका गुस्सा (anger and lack of sleep)
पर्याप्त नींद न लेना आपके दिमाग और शरीर को थका सकता है। इस प्रकार ये दैनिक कार्यों को कठिन और निराशाजनक बना देता है। ये ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस को इतना बढ़ा देता है कि व्यक्ति सुबह भी चिढ़चिढ़ा और गुस्सेल व्यवहार करता है। कई बार आपने ऐेसे लोगों को देखा होगा, जो हमेशा गुस्से और उखड़े हुए स्वभाव के साथ बात करते हैं। इन लोगों का ब्लड प्रेशर कभी भी नॉर्मल नहीं होता है और ये छोटी-छोटी बातों को लेकर चितिंत हो जाते हैं। दरअसल इन सब में आराम और नींद की कमी का एक बड़ा हाथ होता है।
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नींद की कमी और आपका ब्लड प्रेशर (lack of sleep and blood pressure)
जो लोग पांच घंटे या उससे कम सोते हैं उन्हें हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। साइंस की मानें, तो नींद आपके तनाव हार्मोन को विनियमित करने में मदद करती है और आपके तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखती है। पर नींद की कमी आपके शरीर को तनाव हार्मोन को विनियमित करने की क्षमता को चोट पहुंचा सकती है, जिससे उच्च रक्तचाप बढ़ता है। रात में सात से आठ घंटे सोना उच्च रक्तचाप के उपचार और रोकथाम में भूमिका निभा सकता है।
आक्रामक व्यवहार में बढ़ोतरी
दरअसल मस्तिष्क का एक क्षेत्र अमिगडाला (amygdala) लड़ाई की प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं जब आप नींद की कमी के शिकार होते हैं, तो ये इस प्रतिक्रिया को और किक कर सकता है। जर्नल ऑफ रिसर्च इन पर्सनैलिटी में प्रकाशित एक अध्ययन की मानें, तो क्रोध नींद की कमी से संबंधित है। साथ ही ये स्ट्रेस होर्मोन को भी बढ़ा देता है, जिससे दिमागी बेचैनी और बढ़ जाती है। ऐसे लोग तुरंत खराब प्रतिक्रिया देते हैं और बात बात पर लड़ाई करते हैं।
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इमोशनली डिसबैलेंस रहना
नींद की कमी भावनात्मक नियंत्रण के नुकसान का कारण बन सकती है और थकान, चिंता, अवसाद, क्रोध और चिड़चिड़ापन जैसी नकारात्मक भावनाओं को भी बढ़ा सकती है। यह आपको अधिक संवेदनशील भी बना सकता है और आक्रामक प्रतिक्रिया करने के लिए आपको ट्रिगर कर सकता है। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल साइकोलॉजी में प्रकाशित दिखाया गया है कि रात में ठीक से न सोना आपको निराशावादी बनाता है और आप धीमे-धीमे नेगेटिव एट्टीयूट वाले व्यक्ति बन सकते हैं।
समय के साथ, कम नींद की वजह से आपका मूड प्रभावित रहता है। जब हम नियमित रूप से नींद खोने लगते हैं, तो मस्तिष्क धीमे-धीमे बीमार होने लगता है। इससे आपका काम प्रभावित हो सकता है और आपको आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है। इस तरह नींद शरीर के आराम के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि आपके ऑफिस के काम और निजी जीवन को संतुलित करने के लिए भी जरूरी है। इसलिए आप रात में पूरी नींद लें। इसके लिए अच्छा भोजन करें, एक्सरसाइज करें और सोते समय गाने सुनें। वहीं आप कुछ घरेलू नुस्खों की भी मदद ले सकते हैं, जो नींद को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
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