जानें कैंसर के इलाज में इम्यूनोथेरेपी कैसे कोविड को कर सकती है प्रभावित

यदि आपके मन में कैंसर के उपचार को लेकर, इम्यूनोथेरेपी के प्रति कोई दुविधा या शंका है तो, यह लेख आपके लिए ही है।  
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जानें कैंसर के इलाज में इम्यूनोथेरेपी कैसे कोविड को कर सकती है प्रभावित

हाल ही में कुछ रिसर्च से यह सामने आया है कि यदि किसी व्यक्ति को कैंसर है और वह उसको ठीक करने के लिए इम्यूनोथेरेपी का सहारा लेता है लेकिन  वह वायरस से भी संक्रमित है तो यह थेरेपी उसके, आउटकम को पहले से भी बदतर कर देगी। परंतु दूसरी ओर एक रिसर्च ने यह साबित भी किया है कि उपर लिखित बात बिल्कुल झूठ है। ऐसा कुछ नहीं है। यदि आप भी कैंसर की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप अवश्य दुविधा में पड़ गए होंगे कि आप को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 

आउटकम इस बात पर निर्भर करता है कि आप को किस प्रकार का कैंसर है और मरीज की उम्र कितनी है? क्या उसे अन्य प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई बीमारी है? कुछ लोगों के लिए इम्यूनोथेरेपी सुरक्षित नहीं होती है, क्योंकि बहुत से कैंसर के मरीज इसे ठीक करने के लिए कुछ ऐसी दवाइयां भी लेते हैं जो हो सकता है कोविड के लिए बहुत खतरनाक हो। 

कैंसर के मरीज जोकि वायरस से भी संक्रमित हैं उन का कैसे उपचार करें?

ऑन्कोलॉजिस्ट्स अभी इस बात को पता करने के लिए बहुत संघर्ष कर रहे हैं कि दोनों बीमारियों के मरीजों का उपचार कैसे किया जा सकता है? अभी तक यह भी पता नहीं किया गया है कि जिस कैंसर के मरीज को वायरस होने के बहुत अधिक चांस होते हैं यदि वह इम्यूनोथेरेपी लेने की इच्छा रखते हैं तो तब उनके साथ क्या किया जाए? 

यह स्थिति बहुत ही गंभीर हो जाती है क्योंकि जब आप वायरस से संक्रमित होते हैं तो आप का इम्यून सिस्टम पहले ही बहुत कमजोर हो जाता है और इस हालत में इम्यूनोथेरेपी शुरू करना हो सकता है आप के लिए एक अच्छी चॉइस न हो। यह दुविधा और भी अधिक मुसीबत बन जाती है जब उपचार के लिए कोई दिशा निर्देश न हों।

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क्या इम्यूनोथेरेपी व कोरोना वायरस से आप का इम्यून सिस्टम ओवरेक्टिव बन जाता है? 

कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत अधिक सक्रिय   होता है जिस वजह से वह कोविड होने के कारण  बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं क्योंकि उनका सिटोकिन एक सिंड्रोम रिलीज करता है जिस की वजह से उनके भिन्न भिन्न अंग में निष्क्रिय हो जाते हैं। जिस की वजह से मृत्यु का भी खतरा रहता है।

यह इसलिए होता है क्योंकि आप के इम्यून सिस्टम में सिटोकिन नामक प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में बनने लगता है। यदि आप इम्यूनोथेरेपी का सहारा लेते हैं तो वह आप के इम्यून सिस्टम को और अधिक सक्रिय बनाता है। परंतु यहां राहत की एक यह बात है कि जो लोगो दोनों बीमारियो से जूझ रहें हैं उन्हें अन्य प्रकार के कोई नुक़सान नहीं होता।

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एक अध्ययन के दौरान यह पाया गया है कि कैंसर में मृत्यु दर कोरोना वायरस से अधिक है। क्योंकि कैंसर के साथ यदि आप को अन्य प्रकार के स्वास्थ्य सम्बन्धी रोग भी है तो आप की मृत्यु की संभावना कुछ हद तक बढ़ जाती है। परंतु आप को घबराना नहीं चाहिए। 

यदि आप एक ऐसे मरीज है जो दोनों बीमारियों से जूझ रहे हैं तो आप को इम्यूनोथेरेपी लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह ले लेनी चाहिए अन्यथा यह खतरनाक हो सकती है।

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