
डायबिटीज के रोगियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। और इस लिहाज से डायबिटीज को एक महामारी कहना गलत न होगा। हाल ही में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने भी 'डायबिटीज एटलस' का अपना छठा संस्करण प्रस्तुत किया। इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि विश्व में डायबिटीज के कारण हर छह सेकेंड में एक मृत्यु होती है। यही नहीं इस साल दुनिया में डायबिटीज पीड़ितों की संख्या 38.2 करोड़ हो चुकी है। इन रोगियों में टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों कि संख्या सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार 2030 तक भारत में डायबिटीज पीड़ितों की संख्या दुनिया में सबसे ज्या हो चुकी होगी।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने अपने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि जहां भारत में डायबिटीज पीड़ितों की संख्या 2012 में 37 करोड़ थी, वहीं 2035 तक इसमें 55 फीसदी की बढ़ोतरी होने की आशंका है। वहीं पूरे विश्व में यह संख्या 59.2 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विकाशशील देशों में लोगों के शहरी जीवनशैली के प्रति आकर्शण और रुझान के चलते यह बीमारी ज्यादा पकड़ बना रही है। साथ ही उन्होंने बताया कि जागरुकता की कमी और इस बीमारी से लड़ाई के लचर प्रयासों से कारण इसके घातक प्रभावों से लड़ने में हम काफी पीछे छूटते जा रहे हैं।
डायबिटीज के हर साल 51 लाख लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है। डायबिटीज के रोगियों में रक्त शर्करा का स्तर अपर्याप्त होता है, जिसके कारण आंखों, किड़नी और दिल जैसे महत्वपूर्ण अंगों को गंभीर जोखिम पैदा हो सकता है।
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