डायबिटीज रोगियों के लिए गर्मी का मौसम है खतरनाक, इन 5 तरीकों से रहें सजग

इस मौसम में अधिक पसीना आने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स यानी सोडियम व पोटैशियम की कमी हो जाती है। सोडियम व पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है और इस कारण घबराहट महसूस होती है। नींद नहींआती, सुस्ती और उलझन महसूस होती है।
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डायबिटीज रोगियों के लिए गर्मी का मौसम है खतरनाक, इन 5 तरीकों से रहें सजग

गर्मियों में दिन लंबा व रात छोटी होती है। इसलिए हृदय रोगी थकान व तनाव महसूस कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनका ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है। इसी तरह डाइबिटीज से ग्रस्त लोगों का ब्लड शुगर भी थकान व तनाव के कारण बढ़ सकता है। इस मौसम में अधिक पसीना आने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स यानी सोडियम व पोटैशियम की कमी हो जाती है। सोडियम व पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन के कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है और इस कारण घबराहट महसूस होती है। नींद नहींआती, सुस्ती और उलझन महसूस होती है।

मौजूदा मौसम में मांसपेशियों में भी जल्दी थकान महसूस होती है, क्योंकि बीएमआर (बेसल मेटाबॉलिक रेट) हाई होता है। गर्मी में पानी की आवश्यकता अधिक होती है। बार-बार पानी न लेने से घबराहट हो सकती है। इस मौसम में भूख कम लगती है। इसलिए शरीर को पर्याप्त कैलोरीज व पोषक तत्व नहीं मिल पाते है। इस कारण शरीर में शिथिलता रहती है।

तापमान और बॉडी फंक्शन

शरीर का बॉडी फंक्शन (देह के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली) 28 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छी तरह से कार्य करता है। गर्मी में जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चला जाता है, तो इसका हृदय व मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण सिरदर्द, चक्कर आना, धड़कन, घबराहट, उलझन, कंपन, जी मिचलाना, कमजोरी, और सुस्ती आदि महसूस होने लगती है।

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क्या करें

इस मौसम में अक्सर तेज धूप में भाग-दौड़ करने और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से भी घबराहट महूसस हो सकती है। इस स्थिति में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, नींबू पानी व ग्लूकोज लें। ठंडे स्थान पर विश्राम करने से आधा-एक घंटे में ऐसी समस्या समाप्त हो जाती है, लेकिन विश्राम के बाद भी घबराहट दूर न हो, तो डॉक्टर से परामर्श लें। अनेक मामलों में डॉक्टर घबराहट का कारण जानने के लिए जरूरत पड़ने पर ब्लडप्रेशर, ब्लड शुगर, ईसीजी और 2डी इको डॉप्लर व अन्य जांचें करा सकते हैं। शरीर में सोडियम और पोटेशियम की जांच भी करायी जा सकती है।

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बचाव

-पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। खाली पेट घर से बाहर न निकलें।

-दही व इससे निर्मित लस्सी और मट्ठे का सेवन करें। सत्तू खाना भी लाभप्रद है।

-खीरा, ककड़ी, आम का पना व बेल का शर्बत पीना लाभप्रद है।

-ताजा भोजन करें। बाजार के खुले और कटे फल न खाएं।

-घबराहट होने पर किसी के बताने पर या फिर अपने आप कोई दवा न लें।

-अगर बुखार है, तो आप पैरासीटामॉल की टैब्लेट ले सकते हैं।

-इस मौसम में पसीना बहुत निकलता है। इसलिए खानपान में नमक की मात्रा बढ़ा दें। काला नमक मिलाकर दही व मट्ठे का सेवन करना लाभप्रद है।

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