क्यों खास है ये धनतेरस और 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस'? जानें महामारी से लड़ने में आयुर्वेद कैसे कर रहा है मदद

कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच त्यौहारों का मजा पहले जैसा नहीं है। लेकिन इस बार का धनतेरस और आयुर्वेद दिवस कुछ खास है, जानें क्यों।
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क्यों खास है ये धनतेरस और 'राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस'? जानें महामारी से लड़ने में आयुर्वेद कैसे कर रहा है मदद

आज 13 नवंबर, शुक्रवार को देशभर में धनतेरस का उत्सव मनाया जा रहा है। वैसे तो धनतेरस को लोग धन और वैभव से जोड़कर देखते हैं इसलिए इस दिन बाजार खरीदारों के लिए विशेष रूप से सजा दिए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि धनतेरस के दिन को 'आयुर्वेद दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है? जी हां, साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की घोषणा की थी कि धनतेरस के शुभ दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस का दिन आयुर्वेद के प्रणेता और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती का दिन होता है। आयुर्वेद पिछले कुछ सालों में भारत के बाहर भी पहुंचा है और लोगों का आयुर्वेदिक चिकित्सा पर विश्वास बढ़ा है। इस साल पूरा विश्व कोरोना वायरस नाम की महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में इस बार राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) कुछ खास है। आइए जानते हैं क्यों।

national ayurveda day 2020

क्यों खास है इस बार का धनतेरस और आयुर्वेद दिवस?

पिछले दिनों जब दुनियाभर में कोरोना वायरस के कारण हर रोज लाखों मौतें होने लगीं, तब इस महामारी से बचाव के लिए एक चीज जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की गई वो है 'इम्यूनिटी', यानी व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता। इस इम्यूनिटी को बनाए रखने के लिए जिन चीजों के सेवन की सलाह एक्सपर्ट्स ने दी, वो हजारों साल पहले से ही आयुर्वेद में बता दी गई थीं। यही कारण है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के समय में आयुर्वेद की तरफ लोगों का आकर्षण अचानक से काफी बढ़ गया। इसके बाद भारत सहित दुनिया के कई देशों में तमाम रिसर्च हुईं, जिनमें बताया गया कि आयुर्वेद में बताए गए काढ़ों और जड़ी-बूटियों के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोरोना वायरस के हल्के-फुल्के लक्षणों वाले मरीजों को घर पर ही आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से इलाज करने के लिए विशेष गाइडलाइन भी जारी की। इस गाइडलाइन में तमाम हर्ब्स के प्रयोग की बात की गई। लोगों को इन हर्ब्स से लाभ भी हुआ और बहुत सारे लोग, जिनमें कोरोना के संभावित लक्षण थे, बिना हॉस्पिटल गए घर पर ही इन काढ़ों और हर्ब्स के सेवन से ठीक हुए। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने कई उद्बोधनों में इस बात का जिक्र किया कि हमें ऐसे कठिन समय में आयुर्वेद को अपनाना चाहिए।

'कोविड के लिए आयुर्वेद' है इस बार की थीम

आयुष मंत्रालय के अनुसार इस बार धनतेरस और आयुर्वेद दिवस की थीम 'कोविड के लिए आयुर्वेद' रखी गई है। आयुष मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया, "इस दिन को मनाने का उद्देश्य आयुर्वेद के अद्भुत चिकित्सा सिद्धांतों को मजबूती देना है, जिससे अलग-अलग बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी लाई जा सके। इसके अलावा इस दिन का उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े नैशनल हैल्थ प्रोग्राम्स और पॉलिसीज में आयुर्वेद के योगदान के महत्व को तलाशने का भी दिन है।"

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इस साल आयुष मंत्रालय एक विशेष वेबिनार भी आयोजित कर रहा है, जिसका विषय है, "कोविड-19 महामारी के लिए आयुर्वेद"। मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि इस वेबिनार में देशभर से लगभग 1.5 लाख लोगों के जुड़ने की संभावना है। इसके अलावा भी कई राज्य सरकारें अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए लोगों को दैनिक जीवन में आयुर्वेद का महत्व और कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद के महत्व को समझाने का काम करेंगी।

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