इस परेशानी के कारण नहीं समझ पाता आपका बच्ची आपकी बात, जानें कैसे दूर करें ये समस्या

ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जिसमें बच्चे के बात करने और समझने की कला प्रभावित होती है। डॉक्टर ऑटिज्म को एक ऐसा विकार बताते हैं, जिसमें बच्चा सामान्य बच्चों की तरह जीवन के पहलुओं को नहीं समझ सकता। 
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इस परेशानी के कारण नहीं समझ पाता आपका बच्ची आपकी बात, जानें कैसे दूर करें ये समस्या


ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जिसमें बच्चे के बात करने और समझने की कला प्रभावित होती है। डॉक्टर ऑटिज्म को एक ऐसा विकार बताते हैं, जिसमें बच्चा सामान्य बच्चों की तरह जीवन के पहलुओं को नहीं समझ सकता। ऐसे बच्चें न सिर्फ अपनी भावनाएं व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं बल्कि वो दूसरों की बातें भी सही तरह से नहीं समझ पातें। इन्हीं कारणों से वो पढ़ाई में दूसरे बच्चों से पीछे रह जाते हैं और माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों से कर उन्हें अलग महसूस कराते हैं। बच्चों के भीतर ऑटिज्म जैसी समस्या पैदा होना कोई नई बात नहीं है। बहुत से बच्चें ऐसे हैं, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाले कोई नहीं है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को इस समस्या को नहीं पहचान पाते। अगर आपका बच्चा भी आपसे बात करते वक्त हिचकता है और आपसे बाते साझा नहीं कर पाता तो हम आपको इस समस्या को दूर करने का तरीका बता रहे हैं। ये तरीका आपके बच्चें में आत्मविश्वास पैदा करेगा और उसे अपनी तकलीफ साझा करने की हिम्मत देगा। 

इस तरह से जगाएं अपने बच्चों में आत्मविश्वास और दूर करें ऑटिज्म की समस्या 

ऑटिस्टिक बच्चों में कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं जैसे कि लगातार एक ही प्रकार का काम करना या प्रतिदिन के कार्य में किसी प्रकार के बदलाव को अस्वीकार करना । उन्हें मौखिक और गैर मौखिक संचार दोनों में ही समस्या आती है ।

ऐसे बच्चे बिलकुल नहीं बोलते हैं और सिर्फ तेज़ आवाज़ पर ही प्रतिक्रिया करते हैं । कुछ आटिस्टिक बच्चे संकेतों को भी नहीं समझ पाते ।

बहुत से आटिस्टिक बच्चे थोड़ा बहुत बोल लेते हैं लेकिन वो सामान्य बच्चों की तरह नहीं पढ़ सकते । जैसे कि वो कुछ विशेष क्षेत्रों में बोल पाते हैं, लेकिन सभी में नहीं ।

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कुछ आटिस्टिक बच्चों की याद्दाश्त बहुत अच्छी होती है अगर उन्होंने कोई जानकारी सुनी है या कोई घटना देखी है, तो वो उन्हें लम्बे समय तक याद रहती है । कुछ में बहुत ही महान संगीत प्रतिभा होती है और कुछ गणितीय गणना करने में बहुत तेज़ होते हैं । आंकड़ों से ऐसा पता चला है कि आटिज़्म से प्रभावित लगभग 10 प्रतिशत बच्चों की याददाश्त कमजोर होती है और उनमें गणित को समझने की अधिक क्षमता नहीं होती है ।

अधिकतर चिकित्सक जो कि आटिस्टिक बच्चों की देखरेख करते हैं वो ऐसी सलाह देते हैं कि आटिस्टिक बच्चों की जितनी जल्दी हो सके स्पीच थेरेपी की जानी चाहिए । इससे बच्चे दूसरे लोगों को समझने में और बातें करने में धीरे-धीरे समर्थ होने लगते हैं ।

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आजकल, स्पीच लैंग्वेज पैथालाजिस्ट या भाषण चिकित्सक जो कि भाषा से सम्बन्धी समस्याओं के विशेषज्ञ हैं वो ऑटिज़्म का उपचार करते हैं । चिकित्सा के सभी चरण में स्पीच लैंग्वेज चिकित्सा सामान्यत: परिवार, स्कूल और शिक्षक का सहयोग भी लेता है । बहुत से उपकरण जैसे कि इलेक्ट्रानिक टाकर, चित्र बोर्ड और शब्दों के इस्तेमाल से ऐसे बच्चों को समझने में आसानी होती है ।

भाषण चिकित्सा से ना केवल बच्चे की भाषा का कौशल विकसित होता है बल्कि इससे बच्चे आसपास में रहने वालों से संबंध भी स्थापित कर पाते हैं, जैसा कि आटिस्टिक बच्चों को करने में समस्या आती है । अधिकतर चिकित्सक ऐसी सलाह देते हैं कि आटिस्टिक बच्चों में जितनी जल्दी हो सके स्पीच थेरेपी शुरू कर देनी चाहिए ।

सामान्यत: ऑटिज़्म का पता 3 साल की उम्र से पहले लगता है । अधिकतर आटिस्टिक बच्चे बोलने में अक्षम होते है, लेकिन थेरेपी के शुरुआती दिनों से ही वो सामने वाले के सवालों पर कुछ प्रतिक्रिया करते हैं । शोधों से ऐसा पता चला है कि वो आटिस्टिक लोग जिनमें कि सुधार पाया गया है वो अधिक समय से स्पीच थेरेपी ले रहे होते हैं ।

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