किसी भी बीमारी को जांचने के लिए रक्तच जांच करना वर्तमान में बहुत आवश्यकक हो गया है। आज के समय में इतनी सारी बीमारियां घर कर चुकी है कि बीमारी की पुष्टि के लिए, रक्तर जांच करनी ही पड़ती है। लेकिन इसके साथ ही डॉक्टलर्स की सलाह लेना भी सर्वमान्यट है। किसी भी भ्रम में पड़ने से बेहतर है डॉक्ट र के पास जाना। डेंगू की पुष्टि के लिए भी रक्तक जांच जरूरी होती है। बुखार की शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टकर को दिखाना चाहिए। आइए जानें डेंगू के निदान के बारे में।
कैसे कराएं डेंगू की जांच
- डेंगू की पुष्टि भी रक्त जांच से होती है। लेकिन सभी बीमारियों को जांचने का तरीका अलग होता है।
- जैसे मलेरिया के कई प्रकार है वैसे ही डेंगू के भी कई प्रकार है। डेंगू के सभी रूपों की पुष्टि करने के लिए रक्त जांच की आवश्य कता पड़ती है जिसके आधार पर यह बताया जाता है कि रोगी किस प्रकार के डेंगू से ग्रसित है।
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- डेंगू का पता लगाने के लिए आम तौर पर एलिजा जांच का ही सहारा लिया जाता रहा है। लेकिन इस जांच के जरिए शुरुआती पांच से छह दिन तक इसके संक्रमण का पता नहीं लग पता।
- रीयल टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) के जरिए डेंगू के सभी सीरोटाइप का सटीक पता बहुत जल्दी लग जाता है। एनसीडीसी में नमूने आने के आठ घंटे के अंदर इसके नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।
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- दरअसल, डेंगू के मामलों में उसके डॉक्टरी परीक्षण के साथ ही वायरस विशेष के एंटीबॉडी की पहचान भी जरूरी होती है।
- कई बार डेंगू का संदेह होने पर भी रक्तट जांच की जाती है यदि उस जांच के परिणामों में कोई गड़बड़ दिखाई पड़ती है या फिर प्लेरटलेट्स कम होती है तो इन्हें भी डेंगू के लक्षण मान लिया जाता है। ऐेसे में डेंगू की जांच नए सिरे से दोबारा की जाती है। वास्तंव में डेंगू का सही निदान रक्त परीक्षा में वायरल एंटीजन की उपस्थिति से ही होता है ।
- डेंगू भी एडीस इजिप्ट प्रजाति के मच्छ रों के कांटने से फैलता है। वर्तमान में डेंगू बहुत आम हो गया है। हालांकि अभी तक डेंगू के बचाव के लिए कोई खास तकनीक उपलब्धै नहीं हो पाई है लेकिन इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।
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