
दुनिया में आने वाले दिनों में डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, अधिक जानने के लिए इस स्वास्थ्य समाचार को पढ़ें।
दुनिया में डिमेंशिया जैसी दिमागी बीमारी के मरीजों की संख्या 2050 तक तीगुनी हो जायेगी। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है, कि आने वाले दिनों में यानी 2050 तक दुनिया में डिमेंशिया या मानसिक विक्षिप्तता की बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या लगभग तीन गुनी तक हो जाने की आशंका है। अल्जाइमर्स डिजीज इंटरनेशनल के अनुसार, वर्तमान में इस बीमारी से 4.4 करोड़ लोग पीड़ित हैं लेकिन 2050 तक इनकी संख्या बढ़कर 13.5 करोड़ तक हो जाएगी। इसको लेकर लंदन में अगले सप्ताह होने वाले जी-8 डिमेंशिया समिट से पहले ये आंकड़े जारी किए गए हैं।
अल्जइइमर्स डिजीज इंटरनेशनल की माने तो जिस तरह गरीब और मध्य आय वर्ग वाले देशों में लोगों की औसत आयु बढ़ रही है उसके कारण ही इस तरह के मामले और बढ़ेंगे, इस संगठन के अनुसार ये मामले दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के देशों में सबसे ज्यादा बढ़ेंगे।
फिलहाल मानसिक बीमारी के 38 प्रतिशत रोगी धनी देशों में हैं लेकिन 2050 तक यह संतुलन पूरी तरह से बदल जाएगा, उस वक्त तक विश्व के 71 प्रतिशत मरीज गरीब और मध्यम आय वाले देशों के होंगे।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर सरकारें डिमेंशिया की इस महामारी से निपटने के लिए ज्यादा तत्पर नहीं हैं। अल्जाइमर डिजीज इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक मार्क वोर्टमन ने बताया, ''यह एक वैश्विक महामारी है और यह बिगड़ती जा रही है, यदि हम भविष्य को देखें तो वृद्ध लोगों की आबादी में तेजी से वृद्धि होने वाली है।''
इंग्लैंड की अल्जाइमर्स सोसायटी के मुख्य कार्यकारी जेरेमी ह्यूज ने कहा कि डिमेंशिया तेजी से एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। यह आज की पीढ़ी के लिए सामाजिक देखभाल से जुड़ी एक बड़ी चुनौती है।
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