पार्किंसन रोग सेंट्रल नर्वस सिस्टम का एक रोग है, जिसमें रोगी के शरीर के अंगों में बेकाबू रूप से कंपन होता है। इसमें हाथों में कंपन विशेष रूप से शामिल होता है। ऐसा मस्तिष्क का शरीर की गतिविधियों का सही प्रबंधन न करने के कारण होता है। लेकिन एक नए शोध से पता चला है कि पार्किंसन रोग से पीड़ित लोगों के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) प्रक्रिया फायदेमंद हो सकती है।
न्यूरो विशेषज्ञों के अनुसार, डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस), एक न्यूरो सर्जिकल प्रक्रिया है, जो पार्किंसंस रोगियों को जीवन को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के अंतर्गत डॉक्टर मस्तिष्क के अंदर एक चिकित्सा उपकरण न्यूरोस्टिमुलेटर (ब्रेन पेसमेकर) को स्थापित करते हैं, जो गतिविधियों और भावात्मक विकारों को ठीक करने के लिए प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड के माध्यम से मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों (मस्तिष्क केंद्र) में विद्युत आवेग पहुंचाते हैं।
बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक और न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार अतुल प्रसाद के अनुसार, “अब तक ऐसी कोई चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है, जो वास्तव में पार्किंसन रोग का पूरी तरह से इलाज कर सके। इस प्रक्रिया के इस्तेमाल से उन लोगों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर करते है, जो इस रोग के कारण सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आमतौर पर सर्जरी के दौरान डॉक्टर खोपड़ी में छेद करके और फिर उसके माध्यम से पेसमेकर स्थापित करते हैं।
इस शोध से सहमत दिल्ली के न्यूरोलॉजिस्ट राकेश टंडन कहते हैं कि इस ऑपरेशन ने कुछ मामलों में सकारात्मक निष्कर्ष दिए हैं। हालांकि इस शल्य प्रक्रिया के लिए रोगी और परिवार को सहमत कराना महत्वपूर्ण होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लोगों के बीच डीबीएस के बारे में जागरूकता 30-40 प्रतिशत के आसपास ही है। यहीं एक और कारण है कि शल्य चिकित्सा की प्रक्रिया को व्यापक रूप से नहीं किया जा सकता।
Source : TOI
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