कोरोना वायरस से जंग जारी है, साथ ही पूरी दुनिया वायरस का इलाज ढूंढ रही है। कोरोना वायरस के इलाज के लिए वैज्ञानिक अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं। इन प्रयोगों में प्लाज्मा थेरेपी की चर्चा सबसे ज्यादा हुई है। तमाम वैज्ञानिकों का दावा है कि 'प्लाज्मा थेरेपी' की मदद से व्यक्ति को कोरोना के संक्रमण से बाहर निकाला जा सकता है। अप्रैल के महीने में इस ट्रीटमेंट तकनीक को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद ट्रायल शुरु किया गया। ट्रायल, अहमदाबाद के सरदार पटेल अस्पताल में शुरु हुआ। अहमदाबाद की स्मृति ठक्कर ने अपना प्लाज्मा डोनेट किया। आपको बता दें कि, स्मृति देश की पहली प्लाज्मा डोनर हैं। वह डोनेशन से कुछ दिन पहले ही कोरोना वायरस से ठीक हुई थी।
मार्च में कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थीं स्मृति ठक्कर
अहमदाबाद (गुजरात) की 24 वर्षीय स्मृति 19 मार्च को पेरिस (फ्रांस की राजधानी) से भारत वापस आई थीं। स्मृति पेरिस से मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं। पेरिस से लौटने के बाद उनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दिए, जांच में वह कोरोना पॉजीटिव पाई गईं थी। इसके बाद स्मृति को अस्पताल में भर्ती किया गया। कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म होने के बाद स्मृति को 6 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। स्मृति ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने प्लाज्मा डोनेट करने की सहमति मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने अपने माता-पिता से बात की और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए 'हां' कह दिया।
माता-पिता ने किया सपोर्ट
पेरिस से स्मृति ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि, "कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद डॉक्टर्स ने प्लाज्मा डोनेट करने के लिए कहा, तब मैने अपने पेरेंट्स से बात की। तब उन्होंने कहा कि, जिन डॉक्टर्स ने तुम्हें ठीक किया है, हमें उनकी मदद करनी चाहिए। वो दिन-रात लोगों की सेवा कर रहे हैं तो हमारा भी फर्ज है कि हम कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए प्लाज्मा डोनेट करें।"
क्या प्लाज्मा डोनेट करने में डर महसूस हुआ?
स्मृति कहती हैं, "डर की कोई बात नहीं थी। जो डॉक्टर थे उन्होंने बहुत अच्छे से मुझे और मेरी फैमिली को समझाया। मैने खुद भी इस पर रिसर्च किया और प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मैं तैयार हो गई। ये बात सही है कि मैं इंडिया में पहली प्लाज्मा डोनर थी मगर दूसरी बीमारियो में भी लोग प्लाज्मा डोनेट करते हैं।"
प्लाज्मा डोनेट करने का मकसद क्या था?
"जब मुझे डॉक्टर्स ने बताया कि प्लाज्मा लेकर बाकी कोरोना पेशेंट की थेरेपी की जाएगी। प्लाज्मा थेरेपी से करीब 4 पेशेंट को ठीक करने में मदद मिल सकती है, यह जानने के बाद मैनें अपनी फैमिली से बात की, डॉक्टर्स ने मम्मी-पापा को समझाया, उसके बाद मैनें प्लाज्मा डोनेट करने का निर्णय लिया।"
जागरण ग्रुप कर रहा है सम्मानित
कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दौर में जिस प्रकार का डर लोगों में था वह अकल्पनीय था। कोरोना से मौत होने का डर लोगों को मानसिक तनाव की ओर ढकेल रहा था। हालांकि, ये डर आज भी है। मगर रिकवरी रेट अधिक होने से लोगों में डर कम है। मगर उस डर के माहौल में भी स्मृति मजबूती के साथ खड़ी रहीं और उन्होंने प्लाज्मा डोनेट करने का साहस दिखाया। स्मृति की इसी बहादुरी और साहस के लिए जागरण समूह उन्हें OMH Healthcare Heroes Award के लिए नॉमिनेट किया गया है। स्मृति को Editor's Choice के तहत नामित किया गया है।
Read More Articles On Miscellaneous In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version