कब्‍ज के कारण तो नहीं रो रहा आपका बच्‍चा? जानें क्‍या है इसकी वजह और उपचार

अक्‍सर जब बच्‍चा रोता है तो मांएं उसे दूध पिलाने लगती हैं, जबकि कई बार वह भूख से नहीं बल्कि कब्‍ज की वजह से रो रहे होते हैं। आइए जानते हैं, बच्‍चों में कब्‍ज के कारण और समाधान।
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कब्‍ज के कारण तो नहीं रो रहा आपका बच्‍चा? जानें क्‍या है इसकी वजह और उपचार

बच्चा हो या बड़ा, पेट इंसान के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। यदि पेट तंदुरुस्त और साफ है तो व्यक्ति कई बीमारियों से बच सकता है। लेकिन जिस तरह का आजकल लाइफस्टाइल और खानपान हो गया है उसके ऐसा मुमकिन हो पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। अगर पेट सही तरह से साफ नहीं होता है तो कब्ज की समस्या सबसे पहले जन्म लेती है। इसमें मल कड़ा हो जाता है जिसे निकालने में काफी दिक्कत होती है। इतना ही नहीं कब्ज में पेट में दर्द होना और पाइल्स होना भी आम बात है। यह समस्या बड़ों के साथ ही बच्चों को भी अपना शिकार बनाती है।

  

जब बच्चा दूध के अलावा अन्य चीजों का सेवन शुरू करता है तब उन्हें अक्सर कब्ज की समस्या शुरू होती है। कुछ बच्चों को तो मामूली कब्ज होती है जबकि कुछ बच्चों में यह इतना भयंकर रूप ले लेती है कि उन्हें असहनीय पेट दर्द और मल के साथ खून निकलने जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अभिभावकों द्वारा बच्चों को दवाईयां और अन्य चीजें बहुत सोच समझकर देनी चाहिए। क्योंकि बच्चे बहुत नाजुक होते हैं इसलिए उन्हें पेट का इंफेक्शन होने का डर रहता है। 

मार्किट में मिलने वाले उत्पादों और दवाईयों की बजाए अगर आप बच्चों में कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करेंगे तो शिशु को जल्दी फायदा मिलेगा। आज हम दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक डॉक्टर उमाशंकर से बातचीत पर आपको शिशु से लेकर बच्चों में कब्ज के कारण और कुछ ऐसे असरदार घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जो कब्ज की समस्या को चुटकियों में छूमंतर कर देते हैं। आइए जानते हैं छह माह से कम के बच्‍चों में कब्ज के कारण और इससे बचने के बेस्ट घरेलू उपाय। 

6 माह से कम आयु के शिशु में कब्ज के कारण और समाधान 

छह माह से छोटे बच्चों के लिए संपूर्ण पोषण तत्व प्राप्त करने का सबसे बेहतर तरीका मां का दूध होता है। जो बच्चे नियमित रूप से मां के दूध का सेवन करते हैं उनमें कब्ज जैसी समस्या बहुत कम देखी जाती है। लेकिन जो शिशु मां के बजाय बाहर का पैक्ड दूध पीते हैं उनमें कब्ज की समस्या जल्दी जन्म लेती है।

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हालांकि कई बार शिशु मां का दूध पीने से भी कब्ज की चपेट में आते हैं। इसका कारण मां की डाइट में पोषण संबंधी तत्वों की कमी का होना है। अगर आपको शिशु में बुखार आना, पेट फूलना, मल का कड़ा होना और दूध पीने से मना करने जैसे लक्षण दिखें तो बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा नीचे बताई गई बातों को अपनाकर भी शिशु को कब्ज से बचाया जा सकता है। 

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  • क्योंकि शिशु का दूध पीता है इसलिए जरूरी है कि मां अपनी डाइट पर ध्यान दें। यदि मां अपनी डाइट में हरी सब्जियां, फल और फाइबर शामिल करें तो शिशु को कब्ज की समस्या से बचाया जा सकता है। 
  • शिशु के शौच करने का एक समय निर्धारित करें। कई बार यह भी कब्ज का कारण बनता है। साथ ही जब वह शौच कर रहा हो तो उसे जोर देने के लिए न कहें। ऐसा करने से  शिशु के मलाशय की दीवार फट सकती है, जो पाइल्स का रूप ले सकती है। 
  • अगर आप अपने शिशु को फार्मूला मिल्क दे रही हैं तो एक बार इसे बदल कर देखें। कई बार यह भी कब्ज का कारण बनता है। ऐसा करने से हो सकता है की शिशु को कब्ज से आराम मिले।  
  • शिशु का पेट बिल्कुल भी खाली न रखें। आपको सख्ती से यह देखना होगा कि आपके शिशु ने आज कितना दूध पीया है। अगर आपको लगता है शिशु का पेट खाली है तो उसे पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं।

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