प्रेग्नेंसी में दर्द और बुखार की दवा 'पैरासिटामॉल' हो सकती है खतरनाक, शिशु हो सकता है ADHD का शिकार

प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द और बुखार से छुटकारा पाने के लिए अगर आप पैरासिटामॉल दवा का सेवन कर रही हैं, तो सावधान रहें। नई रिसर्च बताती है कि इस दवा के सेवन से होने वाले शिशु को ADHD सिंड्रोम और ऑटिज्म (Autism) का खतरा हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में दर्द और बुखार की दवा 'पैरासिटामॉल' हो सकती है खतरनाक, शिशु हो सकता है ADHD का शिकार

अगर आप प्रेग्नेंट (गर्भवती) हैं, तो आपको दवाओं के सेवन में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान खुद से कोई दवा खाना कई बार खतरनाक हो सकता है और आपके होने वाले शिशु को बीमार बना सकता है। हाल में हुई एक रिसर्च में पाया गया है कि गर्भवती महिलाओं के लिए दर्द और बुखार की बेहद पॉपुलर दवा 'पैरासिटामॉल' (Paracetamol) का सेवन खतरनाक हो सकता है। पैरासिटामॉल का इस्तेमाल आमतौर पर लोग सिर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, जुकाम आदि को ठीक करने के लिए करते हैं। आपको बता दें कि ये दवा भारत में इतनी पॉपुलर है कि 80% से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं।

इस रिसर्च के अनुसार अगर गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान पैरासिटामॉल वाली दवाओं का सेवन करती हैं, तो उनके होने वाले बच्चे को एडीएचडी सिंड्रोम या ऑटिज्म का खतरा हो सकता है। पैरासिटामॉल को एसिटामेनोफेन (Acetaminophen) या टायलेनॉल (Tylenol) के नाम से भी जाना जाता है।

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बिना डॉक्टरी सलाह कभी न खाएं दवा

ये रिसर्च Johns Hopkins University Bloomberg School of Public Health द्वारा की गई है। इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने गर्भवती महिलाओं के गर्भनाल से ब्लड सैंपल लिया और उसका टेस्ट करने के बाद निष्कर्ष निकाला। इस टेस्ट में पाया गया कि एसिटामेनोफेन दवाओं के सेवन के बाद गर्भ में पल रहे शिशु में डेवलपमेंटल डिसऑर्डर का खतरा दो गुना ज्यादा बढ़ गया। हालांकि ये एक अध्ययन और अभी इस बारे में और ज्यादा शोध की जरूरत है, मगर फिर भी वैज्ञानिकों ने महिलाओं को ये हिदायत दी है कि बिना डॉक्टरी सलाह के किसी दवा का सेवन न करें, खासकर प्रेग्नेंसी के दौरान।

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क्या हैं ADHD सिंड्रोम और ऑटिज्म?

एडीएचडी सिंड्रोम (ADHD Syndrome) और ऑटिज्म दो ऐसे मानसिक डिसऑर्डर हैं, जिनके कारण व्यक्ति के स्वभाव और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। हालांकि ये दोनों ही रोगों का खतरा कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जैसे- जेनेटिक्स, पारिवारिक इतिहास और वातावरण आदि। मगर कई बार गर्भवती मां की छोटी-मोटी गलतियों के कारण भी होने वाले शिशु के मास्तिष्क का विकास बाधित होता है और बच्चा इन मेंटल डिसऑर्डर्स का शिकार हो सकता है।

मेडिकल साइंस मानता है इन दवाओं को सेफ

इस रिसर्च के बारे में जब ओनलीमायहेल्थ ने सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राम आशीष से बात की, तो उन्होंने बताया, "सामान्य परिस्थितियों में मेडिकल साइंस में एसिटामेनोफेन/टायलेनॉल दवाओं को बेहद सुरक्षित माना जाता है। इस अध्ययन को अभी और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। एडीएचडी सिंड्रोम हो या ऑटिज्म, ये दोनों ही न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर हैं, जिनका खतरा बच्चों को ज्यादा होता है। मगर इन समस्याओं का खतरा कई बातों पर निर्भर करता है, सिर्फ एसिटामेनोफेन से इस बीमारी के होने के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।"

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कैसे किया गया रिसर्च?

इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने 996 गर्भवती महिलाओं को चुना। ये अध्ययन 1998 से 2018 तक, यानी 20 साल में किया गया है। रिसर्च के दौरान मांओं और उनके शिशुओं के हेल्थ डाटा का पर नजर रखी गई। इस दौरान गर्भवती महिलाओं की गर्भनाल से ब्लड सैंपल निकालकर इस बात की लगातार जांच की गई कि महिला के पैरासिटामॉल के सेवन के बाद गर्भनाल के रास्ते से दवा की कितनी मात्रा शिशु तक पहुंची। इसके बाद होने वाले बच्चों में इस बात की जांच की गई कि कितने बच्चे एडीएचडी या ऑटिज्म का शिकार हुए।

रिसर्च के अनुसार पैरासिटामॉल का सेवन करने वाली मांओं में लगभग 26% के बच्चे एडीएचडी (ADHD) का शिकर हुए, 7% बच्चे ऑटिज्म (Autism) का शिकार हुए, जबकि 4% बच्चे दोनों ही मानसिक विकारों का शिकार पाए गए। वहीं 33% महिलाओं के बच्चों में इसका कोई प्रभाव नहीं देखा गया।

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