होने वाले बच्चे के विकास पर असर डालता है सीलिएक रोग, गर्भवती महिलाएं बरतें जरूरी सावधानियां

सिलिएक रोग एक अनुवांशिक ऑटोइनयुमिन रोग है, जो बच्‍चे के विकास को प्रभावित करता है। ऐसे में गर्भावस्‍था के दौरान यदि महिलाएं हाई फाइबर का सेवन करें और ग्‍लूटेन खाने से परहेज करें, तो वह अपने होने वाले बच्‍चे को इस रोग का खतरा कम हो जाता है।  
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होने वाले बच्चे के विकास पर असर डालता है सीलिएक रोग, गर्भवती महिलाएं बरतें जरूरी सावधानियां


सीलिएक छोटी आंत की बीमारी है या कहा जा सकता है, कि यह कुछ खानपान से होने वाली एलर्जी है। जब खाना ग्‍लूटेन से निकलता है, तो यह आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे पाचन जिससे पाचन संबंधी समस्‍याएं होती हैं। सीलिएक रोग एक ऑटोइम्‍यून रोग है। सीलिएक रोग गर्भवती महिलाओं में उनके होने वाले बच्‍चे के विकास पर भी असर डालता है। सिलिएक रोग के कारण बच्‍चे ग्रोथ रूक जाती है जैसे बच्‍चे की लंबाई पर इसका असर देखने को मिलता है। आइए जानते है क्‍या है सिलिएक रोग व इसके लक्षण। 

क्‍या है सिलिएक रोग

सिलिएक रोग एक ऑटोइनयुमिन रोग है, जो कि छोटी आंत से जुड़ा रोग है। सीलिएक रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से होने वाली बीमारी है, जो कि ग्‍लूटेन खाने की वजह से होती है। जिसमें कि शरीर की रोग प्रतिरोधक्षमता अपने ही शरीर के खिलाफ लड़ने लगती है और यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। यह बीमारी गेंहूं, जौ, ओट्स और अन्‍य साबुत अनाजों से होने वाली बीमारी है। क्‍योंकि  गेंहूं, जौ व ओट्स में ग्‍लूटेन नामक प्रोटीन पाया जाता है। सिलिएक रोग व्‍यक्ति की छोटी आंत को ही नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि कई शारीरिक विकार भी पैदा करता है। 

सिलिएक रोग के लक्षण 

सिलिएक रोग मुख्‍यत: पेट की समस्‍याओं से जुड़ा है, लेकिन बच्‍चों में यह रोग उनके शारीरिक विकास पर भी बाधा डालता है। इस रोग के कुछ मुक्ष्‍य लक्षण हैं जैसे- कब्‍ज, दस्‍त, पेट में दर्द या पेट का फूलना, थकान, सिर दर्द, उल्‍टी आना, बाल झड़ना या शरीर में निशान व दानें आना। इसके अलावा शरीर का वजन कम होना, हड्डियों की बीमारी, खून की कमी और बार'बार गर्भपात भी हो सकता है। 

गर्भावस्‍था के दौरान गर्भवती महिलाएं बरतें सावधानियां  

  • गर्भावस्‍था के दौरान यदि महिलाएं यह सावधानी बरतें, तो वह अपने होने वाले बच्‍चे को सीलिएक रोग से दूर रख, इसके खतरे को कम कर सकती हैं। अध्‍ययन बताते हैं कि गर्भावस्‍था के दौरान यदि महिला फाइबरयुक्‍त आहार का सेवन करती है, तो व ह उसके व आने वाले बच्‍चे के लिए फायदेमंद होता है। 
  • गभर्वती महिलाओं को गेंहू के आटे के बजाय बेसन का इस्‍तेमाल करना चाहिए।
  • ऐसे में आपको अपने आहार में चावल, मक्‍का, ज्‍वार, बाजरा, दूध व दूध से बनें उत्‍पाद और फल-सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इससे आप स्‍वंय व अपने आने वाले बच्‍चे को सीलिएक रोग से बचाव कर सकते हैं।  
  • इसके अलावा साबुदाना की खिचड़ी, सिंगाड़े के आटे से बनने वाली रोटी, चिड़वा, मूंग दाल का हलवा और चीला खा सकते हैं। क्‍योंकि कई बार गर्भावस्‍था के दौरान कई कुछ खाने का मन होता है, तो आप चटपटी आलू की टिक्‍की या घर में बनी मावे की मिठाई व हलवा ले सकते हैं।  
  • अधिकतर प्रोस्‍टेट फूड्स में गेहूं, जौ या राई शामिल होता है। इसलिए इस पर लगे लेबल को जरूर देखें कि इसमें ग्‍लूटेन मात्रा शामिल है या नहीं।
  • इसके अलावा बियर से भी परहेज बरतें क्‍योंकि इसमें भी गेहूं, जौ व राई शामिल होता है। 

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