Causes of Polydipsia in Hindi: आज के समय में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज एक आम समस्या बनती जा रही हैं। डायबिटीज होने के कई कारण होते हैं, जिसमें मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी और खराब डाइट एक मुख्य कारण मानी जाती हैं। इस समस्या में व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया में समस्या आ सकती है। डायबिटीज होने पर रोगी को कई तरह के लक्षण महसूस (Symptoms of High Blood Sugar level) होते हैं। इसमें बार-बार प्यास लगने को भी शामिल किया जा सकता है। डायबिटीज रोगियों (Diabetes Patient) को आम लोगों की अपेक्षा ज्यादा प्यास लगती है। इस स्थिति को पॉलीडिप्सिया कहते हैं। पॉलीडिप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सामान्य से अधिक प्यास लगती है और उसे बार-बार पानी पीने की इच्छा होती है। इस लेख में आगे मेडिकवर अस्पतला के डॉयबटोलॉजिस्ट सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सचिन नालवाड़े से जानेंगे कि डायबिटीज में पॉलीडिप्सिया के क्या कारण हो सकते हैं। साथ ही, पॉलीडिप्सिया को कम करने के उपाय भी जानेंगे।
पॉलीडिप्सिया के कारण - Causes of Polydipsia In Hindi
ब्लड शुगर का बढ़ना
डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। जब ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है, तो किडनी इसे फिल्टर करने का प्रयास करती है। लेकिन जब ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, तो किडनी इसे पूरी तरह से फिल्टर नहीं कर पाती और यह (ग्लूकोज) यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे रोगी को ज्यादा प्यास लगती है।
ऑस्मोटिक डाययूरेसिस
हाई ब्लड शुगर के कारण शरीर में एक और प्रक्रिया सक्रिय हो जाती है, जिसे ऑस्मोटिक डाययूरेसिस कहते हैं। इसमें ग्लूकोज के साथ-साथ अधिक मात्रा में पानी भी यूरिन के रूप में निकलने लगता है। यह स्थिति शरीर में पानी की कमी को बढ़ाती है और इसके कारण पॉलीडिप्सिया होती है।
इंसुलिन की कमी
इंसुलिन की कमी या उसका सही तरीके से उपयोग न होने पर भी रोगी को बार-बार प्यास लग सकती है। दरअसल, इंसुलिन एक हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। इंसुलिन की कमी से ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पानी की कमी हो सकती है।
मेडिसिन का प्रभाव
डायबिटीज को कम करने के लिए दी जाने वाली कुछ मेडिसिन के प्रभाव से भी पॉलीडिप्सिया की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेष रूप से, डायबिटीज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डाययूरेटिक्स (मूत्रवर्धक दवाएं) शरीर से अतिरिक्त पानी निकालती हैं, जिससे प्यास लग सकती है।
पॉलीडिप्सिया को कैसे मैनेज करें - How To Manage Polydipsia In Diabetes In Hindi
ब्लड शुगर को नियंत्रित करें
ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने से पॉलीडिप्सिया को मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए नियमित ब्लड शुगर चेक करना और डॉक्टर द्वारा बताए गए इंसुलिन या दवाओं का सेवन करना आवश्यक है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी इसमें मददगार हो सकते हैं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीना
पॉलीडिप्सिया की स्थिति में भी आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। आपको दिन भर में नियमित रूप से पानी पीना चाहिए। इसके अलावा, कैफीन और एल्कोहल जैसे डिहाइड्रेटिंग ड्रिंक्स से दूरी बनाएं, क्योंकि वे शरीर में पानी की कमी को बढ़ा सकते हैं।
डाइट में करें बदलाव
डायबिटीज के रोगियों को डाइट में आवश्यक बदलाव करने चाहिए। उनको डाइट में हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और प्यास को कम कर सकते हैं।
रेगुलर एक्सरसाइज
रेगुलर एक्सरसाइज न केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि यह शरीर की संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। नियमित व्यायाम से इंसुलिन की प्रभावशीलता बढ़ती है और पॉलीडिप्सिया के लक्षण कम हो सकते हैं।
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Polydipsia Causes And Tips To Manage: डायबिटीज में पॉलीडिप्सिया एक आम समस्या है, लेकिन इसे मैनेज करने की जरूरत होती है। ऐसे में रोगी को नियमित ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए।
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