
भारतीय पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर के मामले दिन प्रतिदिन दिन बढ़ रहे हैं। अमेरिका व युरोपीय देशों के पुरुषों में बेहद तेजी से फैलने के बाद इस बीमारी का आंकड़ा भारतीयों में भी तेजी से बढ़ रहा है। भारत में इस बीमारी का इलाज मुमकिन है फिर भी इस बीमारी की दर लगातार बढ़ रही है। बीते दिनों स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए जानकारी दी है कि भारत में प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम प्रति वर्ष 2.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, कोलकाता और पुणे में कैंसर के कुल मामलों में प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों की संख्या दूसरे नंबर पर है।
पूरी दुनिया में 17 लाख लोग प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज संभव है और महज दिनचर्या में बदलाव करके ही इसके होनो की संभावनाएं घटाई जा सकती हैं। लेकिन फिर भी वर्तमान में पूरी दुनिया में 17 लाख लोग प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे हैं। डॉक्टर इसका कारण रोग का देर से पता चलना और रोग के बारे में कम जानकारी होने को मान रहे हैं। भारत में ही इसके मरीजों की संख्या इस समय करीब 2,88,000 है।
एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट में यूरो-ओंकोलॉजी के प्राध्यापक जगदीश एन. कुलकर्णी ने कहा, “पिछले तीन दशकों को देखें तो मुंबई में प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं और ये कैंसर के कारण होने वाली मौतों की प्रमुख वजह बन चुका है। हर वर्ष प्रोस्टेट कैंसर के 300 नए मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें से सिर्फ 25-30 फीसदी मामले ही शुरुआती चरणों के होते हैं।”
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