Car-T Cell Therapy Gets DCGI Nod: दुनियाभर में हर साल सही समय पर इलाज न मिलने के कारण लाखों कैंसर के मरीजों की जन चली जाती है। खानपान में गड़बड़ी, खराब जीवनशैली और आनुवांशिक कारणों की वजह से कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। कैंसर की बीमारी में शुरुआती स्टेज में इलाज मिलने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। ज्यादातर मरीजों में कैंसर की पहचान एडवांस स्टेज में होती है, इसकी वजह से इलाज बहुत मुश्किल हो जाता है। कैंसर के इलाज की नई-नई तकनीक दुनियाभर में विकसित की जा रही है, जिससे मरीजों का इलाज आसान हो सके और जान बचाई जा सके। इसी तरह की एक तकनीक को भारत में भी मान्यता दी गयी है, जिसका नाम है Car-T Cell Therapy। यह थेरेपी पहले दुनियाभर के कई देशों में इस्तेमाल की जा रही थी, लेकिन अब भारत में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी इस तकनीक से कैंसर के इलाज को मान्यता दे दी है।
Car-T Cell Therapy को मिली डीसीजीआई की मंजूरी- Car-T Cell Therapy Gets DCGI Nod in Hindi
काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी (कार-टी) थेरेपी से ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है। यह थेरेपी ब्लड कैंसर का अत्याधुनिक इलाज है। पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने विशेषज्ञ कार्य समिति की सिफारिश के बाद देश में विकसित एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी बाजार में लाने की अनुमति दे दी है। इसके बाद डीसीजीआई ने भी इसे मार्केट में लाने की अनुमति दे दी है। इस थेरेपी का इस्तेमाल लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर कैंसर के इलाज में किया जाएगा।
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क्या है एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी?- What Is Car-T Cell Therapy in Hindi
एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में कैंसर के मरीजों के शरीर में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाओं के टी सेल्स को निकाला जाता है। इसके बाद टी सेल्स और सफेद रक्त कोशिकाओं को अलग करके संशोधित करने के बाद मरीज के शरीर में डाला जाता है। एक बार यह प्रक्रिया होती है और इसके बाद शरीर में टी सेल्स कैंसर से लड़ने और उन्हें खत्म करने का काम करते हैं। ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे कैंसर के इलाज के लिए इस थेरेपी के इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी है।
एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी को सबसे पहले साल 2017 में अमेरिका में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गयी थी। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने साल 2018 में काम शुरू किया था। कहा जा रहा है कि भारत में इस तकनीक से कैंसर के इलाज का खर्च लगभग 30 से 40 लाख रुपये होगा। आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) ने संयुक्त रूप से कैंसर के इलाज की इस आधुनिक तकनीक को विकसित किया है। देश के कई अस्पतालों में हुए परीक्षण में यह रिजल्ट आया है कि यह तकनीक 88 प्रतिशत तक असरदार है।
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