गर्भावस्था के दौरान अगर मां फिट रहेगी तो बच्चा भी स्वस्थ रहेगा, इसके लिए जरूरी है गर्भावस्था के दौरान व्यायाम किया जाये। गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक महिला को सांस संबंधित व्यायाम जरूर करना चाहिए। यह बच्चे के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि सांस के व्यायाम करने से बच्चे को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिलती है और सांसों की बीमारियां भी नहीं होती हैं। इस लेख में जानिये कि गर्भावस्था के दौरान सांसों के कौन-कौन से व्यायाम करने चाहिए।
पेट से सांस लेना
पेट से सांस लेने को बैली ब्रीदिंग भी कहते हैं। इसे करने के लिए पैरों को मोड़कर आरामदायक मुद्रा में बैठिये, जबड़ों, कन्धों और नितम्बों समेत अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। एक हाथ अपने पेट पर रखें और दूसरा इसके ऊपर। निचले हिस्से से गहरी सांस लीजिए और पेट को हवा से भरकर 8 या उससे अधिक गिनती गिनें। धीरे-धीरे सांसों को छोड़ें। इस व्यायाम को रोज 10 मिनट तक करें। पेट अधिक बढ़ जाने पर घुटनों पर हाथ रखकर भी इसे कर सकती हैं।
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सीने से सांस लेना
इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाइये और अपने पैर एक-दूसरे के सामानांतर रखिये। मुह बंद रखें और 10 तक गिनते हुए गहरी सांस लीजिए। हाथों को छाती पर रखें, लेकिन ध्यान रखें इन्हें जोर से दबायें नहीं। सांस लेते हुए फेफड़े फूलने के साथ ही अपने हाथों को फैलायें। फिर आराम से सांसों को छोड़ें, जितना समय सांस लेने में लगाया उतना ही सांस छोड़ने में लगायें। इस व्यायाम को 10 बार कीजिए। गर्भावस्था के सातवें महीने में इसे करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इस वक्त इसे आराम से ही करें।
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शैलो ब्रीदिंग
इसे उथले सांस लेना कहते हैं, इसे कुछ मिनटों के लिए ही करना बेहतर है। इसे करने के लिए घुटनों को मोड़ते हुए पीछे की ओर झुकें और पैरों को सामानांतर रखते हुए सीधे खड़े हों जायें। इसके बाद अपना मुह पूरा खोलें और जल्दी-जल्दी सांसें लीजिए, यह फेफड़ों के लिए अच्छा व्यायाम है। दिन में कम से कम पांच मिनट के लिए यह व्यायाम करें।
वैकल्पिक रूप से गहरी सांस लेना
इसे करने के लिए आरामयक स्थिति में बैठ जाएं या पैरों को मोड़कर बैठें या फिर पैरों को सीधा रखकर खड़े रहें। जबड़े, हाथ, घुटने, नितम्ब और कन्धों समेत पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए। इसके बाद गहरी सांस लें और कुछ सेकण्ड्स के लिए इस स्थिति में रहें। धीरे-धीरे इसे छोड़ें। फिर अपना मुंह चौड़ा खोलें और पांच तक गिनते हुए हवा अंदर खीचें। (मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को कम करते हैं ये 4 योगासन)
गर्भावस्था में व्यायाम के साथ-साथ खानपान का विशेष ध्यान रखें और नियमित रूप से चिकित्सक के पास जाकर जांच अवश्य करायें।
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