विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर उपचार हो जाए तो स्ट्रोक से उबरा जा सकता है और उसके बाद जीवन में बदलाव लाया जा सकता है। समय पर निदान और उपचार स्ट्रोक से बचने की कुंजी है। 'मैनेजमेंट ऑफ एडल्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन केयर' में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार वर्तमान में केवल 10-15 प्रतिशत स्ट्रोक पीड़ित ही पूरी तरह से ठीक हो पाते हैं, 25-30 प्रतिशत में हल्की विकलांगता रह जाती है, 40-50 प्रतिशत को गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ता है और शेष 10-15 प्रतिशत लोगों की स्ट्रोक के तुरंत बाद मौत हो जाती है।
स्ट्रोक के बाद समय पर इलाज और पुनर्वास से काफी फायदा होता है। इसका लक्ष्य स्ट्रोक के दौरान प्रभावित हुए मस्तिष्क के हिस्से के खो चुके कौशल को फिर से सीखना, स्वतंत्र होकर रहना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। पुनर्वास जितना जल्दी शुरू होता है, रोगी की खो चुकी क्षमताओं को वापस पाने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। डाक्टर्स भी कहते हैं कि लक्षणों की जल्द पहचान करने और सही समय पर न्यूरोसर्जन से परामर्श करना चाहिए। लोगों में स्ट्रोक के लक्षणों औरसमय पर इलाज के महत्व के बारे में जागरूकता को अधिक प्रमुखता दी जानी चाहिए। स्ट्रोक के प्रथम 24 घंटों के भीतर समय पर इलाज से नुकसान को दूर करने का 70 प्रतिशत मौका मिलता है।
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स्ट्रोक के लक्षण
- बोलने और समझने में दिक्कत। आवाज में लड़खड़ाहट हो सकती है या किसी की बात को समझने में दिक्कत हो सकती है।
- चेहरे, हाथ या पैर में कमजोरी या इनका सुन्न होना। विशेष रूप से शरीर के एक तरफ के चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना।
- एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत महसूस करना। आपको अचानक एक या दोनों आंखों से धुंधला या काला दिख सकता है या एक का दो दिख सकता है।
- अचानक तेज सिर दर्द हो सकता है और इसके साथ ही उल्टी, चक्कर आना या बेहोशी हो सकती है।
- चलने में परेशानी। ज्यादा चलते समय अचानक लड़खड़ना।
कितने प्रकार का होता है स्ट्रोक
लगभग 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते हैं। शेष 15 प्रतिशत स्ट्रोक ब्रेन हेमरेज के कारण होते हैं। ब्रेन हेमरेज का एक प्रमुख कारण हाई ब्लडप्रेशर है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं,जिससे रक्त प्रवाह में अत्यधिक कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिया कहा जाता है। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है।
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जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) बनता है तो थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है। यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव (प्लॉक) के कारण होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।
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