लो ब्लडप्रेशर की है समस्या तो ऐसे करें अग्नि शक्ति मुद्रा, मिलेंगे कई फायदे

नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नही पड़ता। लेकिन, यदि ब्‍लड प्रेशर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। लो ब्लड प्रेशर से निजात पाने के लिए आप रोजाना अग्नि शक्ति मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।
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लो ब्लडप्रेशर की है समस्या तो ऐसे करें अग्नि शक्ति मुद्रा, मिलेंगे कई फायदे


जब किसी के शरीर में रक्त-प्रवाह सामान्य से कम हो जाता है तो उसे निम्न रक्तचाप या लो ब्लड प्रेशर कहते है। अक्सर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। जबकि लो ब्लड प्रेशर में शरीर में ब्लड का दबाव कम होने से आवश्यक अंगों तक पूरा ब्लड नही पहुंच पाता जिससे उनके कार्यो में बाधा पहुंचती है। ऐसे में दिल, किडनी, फेफड़े और दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना भी बंद कर सकते हैं।
नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। थोड़ा बहुत ऊपर-नीचे होने से कोई फर्क नही पड़ता। लेकिन, यदि ब्‍लड प्रेशर 90 से कम हो जाए तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। लो ब्लड प्रेशर से निजात पाने के लिए आप रोजाना अग्नि शक्ति मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।

क्या है शक्ति मुद्रा

हस्त मुद्राए हाथों की 8 अंगुलियों व 2 अंगुठों से विशेष प्रकार की बनाई गई आकृतियों को कहा जाता है। दरअसल हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व। हस्त मुद्राओं के कई प्रकार और अलग-अलग लाभ होते हैं।

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कैसे करेंगे अग्नि शक्ति मुद्रा

  • अग्नि शक्ति मुद्रा को करने का सबसे सही समय सूर्योदय से पहले का है।
  • किसी शांत जगह का चुनाव करें और बैठ जाएं।
  • इस मुद्रा के लिए सबसे पहले अंगूठे को छोड़कर, दोनों हाथों की उंगलियों से मुट्ठी बना लें।
  • अब दोनों हाथों के अंगूठों के अग्र भाग को आपस में मिलाएं।
  • इस दौरान हथेलियों और उंगलियों की दिशा नीचे की ओर रहे।
  • इस दौरान धीरे-धीरे और लंबी-गहरी सांस लें।
  • रोज इस मुद्रा का 15 से 45 मिनट तक अभ्यास करें।

मूर्धासन भी है लो ब्लड प्रेशर में लाभप्रदमूर्धासन करने की विधि

  • खड़े होकर दोनों पैरों के बीच लगभग 3 फीट की दूरी बना लें। सांस छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हथेलियों को जमीन पर टिका दें।
  • शरीर का संतुलन बनाए रखते हुए सिर के सामने वाले हिस्से को जमीन पर दोनों हाथों के बीच टिका दें। अब दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और कमर के ऊपर रखते हुए एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें। इस अवस्था में एड़ियों को उठाएं ताकि शरीर का भार सिर और पंजों पर आ जाए। जब तक सहज हो,सहज सांस लेते हुए इस अवस्था में बने रहें। फिर वापसी के लिए, सांस भरते हुए पहले हाथों को खोलकर जमीन पर टिकाएं। धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं।
  • यह इस आसन का एक राउंड हुआ। जब इसका अच्छा अभ्यास हो जाए, तो अंतिम पोज की अवधि धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। प्रत्येक राउंड में लगभग 30 सेकेंड से एक मिनट तक लगता है। प्रत्येक राउंड के बाद कुछ पल शवासन में लेटें। पूरी प्रक्रिया के दौरान ध्यान सांस पर केंद्रित रहे।

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मूर्धासन के लाभ

  • पेट में गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • लंबे समय तक अभ्यास करने से तनाव, डिप्रेशन और चिंता सहित मस्तिष्क संबंधी अन्य रोग भी दूर होते हैं।
  • लो ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत मिलती है।
  • गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • सिर की ओर रक्तसंचार बढ़ने से चेहरे की झाइयां मिटती हैं। झुर्रियां कम होती हैं और चेहरे की कांति बढ़ती है।
  • अधिक समय तक युवा दिखने में मददगार है।

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