त्वचा में होने वाले बदलावों को आप अनदेखा न करें। कई बार यह समस्या स्किन कैंसर की वजह बन सकता है। दरअसल, बेसल सेल कार्सिनोमा स्किन से संबंधी समस्या है और यह कैंसर का रूप धारण कर सकता है। इसकी शुरुआत त्वचा की बाहरी परत से होती है। जब त्वचा सूर्य की यूवी किरणों के संपर्क में रहती है तो इससे कुछ सेल्स प्रभावित होते हैं। बेसल सेल कार्सिनोमा में त्वचा पर उभार आ जाता है, जो धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। यह उभार कुछ मामलों में फट जाता है, इससे कई बार खून भी बह सकता है। इसके बाद यह घाव के निशान की तरह चपटा हो जाता है। बेसल सेल कार्सिनोमा बेहद ही धीरे-धीरे बढ़ता है। कुछ मामलों में इसकी पहचान में सालों का समय भी लग सकता है। इस समस्या में सामान्य रूप से चेहरे, गर्दन, नाक पर लक्षण देखने को मिलते हैं। हेल्थलाइन के अनुसार बेसल सेल कार्सिनोमा की समस्या सूर्य की यूवी किरणों और डीएनए में बदलाव की वजह से हो सकता है। आगे इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डर्मेटोलॉजिस्ट सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर डीएम महाजन से जानते हैं बसेल सेल कार्सिनोमा के कारण, लक्षण और इलाज कैसे किया जाता है।
बेसल सेल कार्सिनोमा के क्या लक्षण होते हैं? - Symptoms Of Basal Cell Carcinoma In Hindi
बेसल सेल कार्सिनोमा की समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। लेकिन, इस समस्या का ट्यूमर सूर्य की किरणों के संपर्क में आने वाली त्वचा में होने की संभावाना अधिक होती है। बेसल सेल कार्सिनोमा का ट्यूमर चेहरे, कान, कंधों, गर्दन और स्कैल्प पर हो सकता है।
बेसल सेल कार्सिनोमा लोगों की त्वचा पर अलग-अलग आकार का दिखाई दे सकता है। यह किसी फोड़े की तरह होता है, जिसमें नसों जुड़ी हो सकती हैं। यह भूरा, गुलाबी और काले रंग का हो सकता है। कुछ समय के बाद यह उभार घाव की तरह दिखाई दे सकता है। आगे जानते हैं इसके लक्षण -
- त्वचा पर फोड़े की तरह दिखने वाला उभार फट सकता है।
- फोड़े के फूटने के बाद खून निकल सकता है।
- इस दौरान सीने, पीठ पर लाल रंग के पैच दिखाई दे सकते हैं।
बेसल सेल कार्सिनोमा के क्या कारण होते हैं? - Causes Of Basal Cell Carcinoma In Hindi
यूवी किरणों के कारण
डॉक्टर्स के अनुसार बेसल सेल कार्सिनोमा सूर्य की यूवी किरणों के कारण डीएनए में हुआ बदलाव हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में अभी रिसर्च चल रही है।
डीएनए परिर्वतन
स्किन की बेसल कोशिकाओं में होने वाले डीएनए म्यूटेशन की वजह से बेसल सेल कार्सिनोमा हो सकता है। स्किन की ऊपरी लेयर को एपडर्मिस कहा जाता है, जब बेसल सेल त्वचा में नई कोशिकाओं को बनाती है, तो यह डेड कोशिकाओं को बाहर की ओर भेजती है। जब यह क्रिया बाधित होती है तो इससे बेसल सेल कार्सिनोमा हो सकता है। दरअसल, डीएनए म्यूटेशन के समय बेसल सेल की असामान्य कोशिकाएं इकट्ठा होकर धीरे-धीरे ट्यूमर बनाने लगती हैं। जिससे त्वचा पर फोड़ा की तरह दिखाई देने लगता है।
बेसल सेल कार्सिनोमा का इलाज कैसे किया जाता है - Treatment of Basal Cell Carcinoma in Hindi
बेसल सेल कार्सिनोमा का इलाज में व्यक्ति की स्थिति के आधार पर डॉक्टर उसके लिए इलाज का चुनाव कर सकते हैं। इसका इलाज कैंसर के प्रकार, आकार और स्थान के आधार पर तय किया जाता है। आगे जानते हैं बेसल सेल कार्सिनोमा के इलाज का तरीका
बेसल सेल कार्सिनोमा के लिए सर्जरी
कैंसर के लिए डॉक्टर सर्जरी का विकल्प चुन सकते हैं। इसमें कैंसर के टिश्यू को हटाया जाता है।
इलेक्ट्रिसिटी के द्वारा कैंसर टिश्यू को नष्ट करना
इसमें डॉक्टर त्वचा के कैंसर वाले हिस्से को सुन्न करते हैं। इसके बाद एक उपकरण की मदद से कैंसर के ट्यूमर को हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में ट्यूमर से निकलने वाले रक्त को कंट्रोल किया जाता है। साथ ही कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
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स्किन में होने वाले बदलावों को अनदेखा करना कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए स्किन पर होने वाले बदलावों को समय रोकना जरूरी होता है। डॉक्टर के साथ मिलकर स्किन पर होने वाले बदलावों का इलाज कराएं।