
ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी और वैंकुवर के चिल्ड्रेन हास्पीटल द्वारा किये गये शोध की मानें तो दमा जैसी बीमारी से बैक्टीरिया बचाव करता है, अधिक जानकारी के लिए ये स्वास्थ्य समाचार पढ़ें।
अस्थमा जैसी बीमारी से बचाव में बैक्टीरिया अहम भूमिका निभाता है। कनाडा के वैज्ञानिकों ने पाया है कि शिशु के शरीर में अगर 4 प्रकार के बैक्टीरिया न हों तो दमा होने की आशंका बढ़ जाती है। ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी और वैंकुवर के चिल्ड्रेन हास्पीटल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने 319 बच्चों पर अध्ययन किया।
इसके लिए उन्होंने 3 महीने, 1 साल और 3 साल की उम्र वाले बच्चों के शरीर में मौजूद सूक्ष्म जीवों के ऊपर शोध किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि 3 महीने के शिशुओं के शरीर में फेइकैलिबैक्टेरियम, लैक्नोस्पिरा, विलोनेल्ला और रोथिया नाम के 4 बैक्टीरिया न हों तो 3 साल की उम्र में दमा होने की आशंका बहुत अधिक होती है।
जबकि ऐसे बैक्टीरिया 1 साल के बच्चों में न हों तो यह आशंका कम होती है। डॉक्टरों की टीम का कहना है कि जन्म के शुरुआती कुछ महीने बच्चों के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसके शोधकर्ताओं में शुमार डॉक्टर स्टुअर्ट टूर्वे का कहना है कि हमारा उद्देश्य है कि बच्चों को शुरू में ही दमा जैसी बीमारी से बचाया जा सके।
टूर्वे ने यह भी कहा, ''इसके लिए शर्त ये है कि उनके शरीर में जरूरी बैक्टीरिया डाला जाए, हालांकि हम अब भी इसके लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि अभी हमें ऐसे बैक्टीरिया के बारे में कम जानकारी है।'' ब्रिटेन में हर 11 बच्चों में से 1 में दमा की बीमारी दिख रही है। इसका प्रमुख कारण बच्चों का इस बीमारी से बचाने वाले बैक्टीरिया से दूर होना है। गर्भावस्था के दौरान दवाओं के सेवन से भी ये बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं।
हालांकि अभी इस विषय पर अभी और अधिक जानकारी जुटाने की ज़रूरत है ताकि माता-पिता को सही सलाह दी जा सके।
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