कुत्ते का दंश अत्यधिक पीड़ादायक अनुभव हो सकता है, और प्रचंड रूप से मानसिक और शारीरिक आघात पहुँचा सकता है। हालांकि सही आंकड़े कहीं उपलब्ध नहीं हैं, फिर भी 60 से 90 प्रतिशत दंश के कारण कुत्ते ही होते हैं, और कुत्तों के दंश के शिकार अधिकतर बच्चे होते हैं।
कई लोगों को यह गलतफहमी रहती है कि उनके पालतू पशु, जैसे कि कुत्ते, उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचा सकते, और उन्हें अपना दोस्त समझते हैं। लेकिन कुत्ते भी अन्य पशुओं की तरह होते हैं, और उनके अंदर भी काटने का सामर्थ्य होता है और उनके काटने के कई कारण भी होते हैं जिसपर एक अलग से लेख लिखा जा सकता है। कुत्ते का काटना त्वचा को और हड्डियों को भी नुकसान पहुँचा सकता है।
और इस का उपचार जख्मों की गंभीरता पर निर्भर करता है। पर एक बात नोट करने लायक है कि कुत्ते का हल्के रूप से काटना भी गंभीर रूप से संक्रामक हो सकता है अगर ज़ख्मों को अच्छी तरह से साफ़ नहीं किया गया। और इस संक्रमण के लक्षण बुखार, सूजन और ग्रसित जगह में अधिक पीड़ा और संवेदनशीलता और काटने की जगह के चारों तरफ लालिमा। उसके अलावा, अगर किसी को बिना टीका लगाया हुआ कुत्ता काट लेता है तो उसे तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेने की ज़रुरत होती है जिसमे रैबिज़ का इंजेक्शन लगाया जा सकता है।
लक्षण और संकेत:
आयुर्वेद के अनुसार इसके तीन चरण होते हैं:
- स्थानीय लक्षण
- सामान्य लक्षण
- असाध्य लक्षण
स्थानीय लक्षण
- ज़हरीले दंश की विशेषताएँ
- गैर-ज़हरीली दंश की विशेषताएँ
ज़हरीले दंश की विशेषताएँ
- खुजली
- अनवरत पीड़ा
- विवर्णता
- स्पर्श संवेदना की कमी
- रिसाव
- चक्कर आना
- सूजन
- फफोले
गैर-ज़हरीली दंश की विशेषताएँ:
- अल्प समय के लिए पीड़ा होना और फिर पीड़ा का गुज़र जाना।
आम विशेषताएँ:
- प्रभावित जगह पर संवेदना की कमी
- प्रचूर मात्रा में रक्तस्राव स्याह/काली विवर्णता के साथ
- सीने में दर्द
- सर दर्द
- बुखार
- शरीर में ऐंठन
- अत्यधिक प्यास लगना
असाध्य विशेषताएँ
- दंश से ग्रस्त रोगी उस पशु की आवाज़ और गतिविधियों की नक़ल करता है, जिस पशु ने उसे काटा है।
- समय के साथ वह लकवे का शिकार बन जाता है।
- रोगी को बिना कारण के पानी से डर लगता है।
- मृत्यु।
कुत्ते के काटने के आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार
- कुत्ते के दंश के फ़ौरन बाद काटी हुई जगह पर से रक्त स्राव को रोकने का प्रयास करें। कुत्ते के मुहं में अत्यधिक मात्रा में जीवाणु होते हैं, जिसके कारण कुत्ते के दंश की जगह पर संक्रमण होने का खतरा होता है, इसलिए ज़ख्म को गुनगुने पानी से 5 से10 मिनट तक धोना ज़रूरी होता है।
- एक साफ़ कपडे से ज़ख्म को दबाकर रखने का प्रयास करें। ज़ख्म को बिना चिपकने वाली जीवाणुहीन पट्टी से बाँध लें। अगर 48 घंटों में ज़ख्म पर संक्रमण के संकेत नज़र आते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
- विटामिन सी का प्रयोग करें, इससे संक्रमण से जूझने में सहायता मिलेगी।
- विटामिन बी का प्रयोग करें। इससे रोग प्रतिकारक शक्ति बढती है।
- चाय के रूप में एचिनेसिया का सेवन करें।
- कुत्ते के काटने के पहले दिन गोल्डन सील चाय का सेवन करने से लाभ मिलता है।
- कुत्ते के दंश पर गोल्डन सील लगाने से एंटी-बायोटिक जैसा लाभ मिलता है।
अपने पालतू कुत्ते या कुत्तों और अन्य पालतू पशुओं को नियमित रूप से एंटी-रैबीज़ टीका लगवाएँ और अगर आप कहीं बाहर, खासकर अँधेरे में, पैदल घूमने जाते हैं तो आसपास ध्यान रखें।
Read Next
विषैले दंश की आयुर्वेदिक चिकित्सा
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version