न बैठे चैन मिलता है और न लेटे हुए।
हाय ये कैसा रोग है।।
जी हां बवासीर एक बहुत ही दुखदायी और तकलीफ देने वाला रोग है जिसमें मरीज को कहीं पर भी बैठने में काफी परेशानी होती है। इसमें मरीज के गुदा द्वार में मस्से हो जाते हैं जिनमें निरंतर खून बहने और अत्यधिक दर्द होने के कारण मरीज काफी कमजोर और दुखी हो जाता है। इस स्थिति में ध्यान न दिया जाए तो मस्से फूल जाते हैं और एक-एक मस्से का आकार मटर के दाने या चने बराबर हो जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करते समय तो भारी पीड़ा होती है।
अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान के चलते आज अधिकतर लोग इस समस्या से ग्रस्त है। बवासीर में होने वाला दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। यह बहुत भयानक रोग है, क्योंकि इसमें पीड़ा तो होती ही है साथ में शरीर का ब्लड भी व्यर्थ नष्ट होता है। लेकिन परेशान न हो क्योंकि आयुर्वेद में इसका इलाज उपलब्ध है।
आयुर्वेदिक औषधि गोरखमुंडी
आज हम आपको एक ऐसी औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं जो अनेक बीमारियों में रामबाण की तरह काम करती है। जी हां गोरखमुंडी ऐसी ही एक औषधि है। यह दिल, दिमाग के अलावा उल्टी, मिर्गी, आंखों की बीमारियों और बालों को सफेद होने से भी बचाती है। इसका सेवन करने से दिमाग तेज होता है। हालांकि गोरखमुंडी का स्वाद नीम की तरह थोड़ा सा तीखा होता है, लेकिन यह नीम की तरह ही औषधीय गुणों से भरपूर है। गोरखमुंडी के फूल, तना और पत्तियां हर चीज का उपयोग दवा के रूप में किया जा सकता है। आइए जानें कि यह बवासीर में कैसे आपकी मदद करती है।
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बवासीर के लिए गोरखमुंडी
आयुर्वेद में गोरखमुंडी को रसायन कहते हैं। इसके हिसाब से यह वह औषधि है जो शरीर को अंतिम सांस तक जवा, सुंदर और स्वस्थ बनाने में मददगार होती है। गोरखमुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरखमुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को पीसकर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है।
तो देर किस बात की बवासीर का जड़ से सफाया करना है तो आज से ही ट्राई करें गोरखमुंडी।
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