ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जो मानसिक रोग से जुड़ी हुई है। इस बीमारी के लक्षण बच्चे में चपन से ही नजर आने लग जाते हैं। इस रोग की चपेट में आए पीड़ित बच्चों का मानसिक विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता है। एक रिसर्च में सामने आया है कि देशभर में दो से नौ वर्ष के बीच के प्रत्येक 89 बच्चों में से एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित है।
देश में ऐसे पीड़ित बच्चों की तादाद करीब 22 करोड़ और वयस्कों की संख्या लगभग सवा करोड़ है। अशंका व्यक्त की गई है कि भविष्य में ऐसे मरीजों की तादाद और भी बढऩे के आसार हैं। इसके पीछे जागरूकता की कमी को वजह माना गया है।
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क्या है ऑटिज्म
यह एक मानसिक रोग है। इसके लक्षण बच्चों में तीन साल तक के उम्र में उभरने लगते हैं। जो बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे होते हैं उन्हें हर चीज में शोर और हल्ला सुनाई देता है। यानि कि बच्चों को जरूरी संकेत भी शोर मचाने की तरह समझ आता। ऐसे बच्चों का दिमागी विकास भी सामान्य बच्चों के मुकाबले बहुत धीरे धीेरे होता है। टैलेंट होते हुए भी ऐसे बच्चे अपने पूरे हुनर का प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं रहते हैं।
यह बीमारी कैंसर जैसी खरतरनाक बीमारियों में गिनी जाती है। अगर समय पर इलाज हो तो इस बीमारी को मात दी जा सकती है। आर्ट थेरेपी, सहानुभूती और सकारात्मक व्यवहार से इसके इलाज में शामिल हैं। इस बीमारी के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है। एक जागरूक व्यक्ति बेहतर तौर पर इसे समक्ष और निपट सकता है।
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