कई गर्भवती महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया का खतरा होता है। लेकिन हाल ही में हुए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि गर्भवस्था के दौरान पहली तिमाही में छोटी मात्रा में एस्पिरिन लेने से प्रीक्लेम्पसिया का खतरा कम हो जाता है। शोध में शुरुआती प्रीक्लम्पसिया की दर में 82 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
गर्भावस्था के 20वें हफ्ते में होने वाली उच्च रक्तचाप की समस्या को प्रीक्लेम्पसिया कहते हैं। ये सामान्य तौर पर होने वाले उच्च रक्तचाप से बिल्कुल अलग है जो प्रसव के बाद अपने आप ठीक हो जाता है।लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर काइरोप्स निकोलेड्स (Kypros Nicolaides) कहते हैं कि, इस शोध के शुरुआती परिणाम में एस्पिरिन के असर की पुष्टि हुई है।
निकोलेड्स आगे कहते हैं कि, "इस अध्ययन को एक निश्चित परिणाम माना जा सकता है। महिलाएं पहली तिमाही में छोटी और निश्चित मात्रा में एस्पिरिन लेकर प्री-टर्म प्रीक्लेम्पसिया के विकास को कम कर सकती हैं।" यह अध्ययन 1,776 महिलाओं पर किया गया है। जिसमें से कुछ महिलाएं प्लेसबो का सेवन कर रही थीं तो कुछ महिलाएं एस्पिरिन का सेवन कर रही थीं। प्लेसबो लेने वाली महिलाओं की तुलना में एस्पिरिन लेने वाली महिलाओं में प्रीक्लेम्पसिया के विकास की कम घटना पाई गई।
36 सप्ताह तक कुछ महिलाओं को 11 से 14 सप्ताह की गर्भवती महिलाओं को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में एस्पिरिन दिया गया। एस्पिरिन लेने वाली 13 महिलाओं में प्री-टर्म प्रीक्लम्पसिया के लक्षण देखे गए जबकि प्लेसबो लेने वाली समुह में से 35 में प्री-टर्म प्रीक्लम्पसिया लक्षण देखे गए। इस अध्ययन को जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है।
Read more Health news in Hindi.