जान लें इस तरह डॉक्टरों की मदद करता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम

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जान लें इस तरह डॉक्टरों की मदद करता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम उन इलाज में डॉक्टरों का साथ देगा जिनमें वह ट्रामेटिक ब्रेन रोग से पीड़ित होंगे। एक अध्ययन में कहा गया है कि नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई सिस्टम से 30- दिनों में 80-85 फीसदी की सटीकता के साथ रोगी के मरने की संभावना का अनुमान लगा सकती है। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम ट्रामेटिक ब्रेन रोगियों के इलाज में डॉक्टरों की मदद कर सकता है। ट्रामेटिक ब्रेन रोग जो कि मौत का एक वैश्विक कारण है। खासकर उन देशों में जो कम आय या सामान्य आय वाले देश हैं। 

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फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिनकी के मुताबिक, ट्रामेटिक ब्रेन रोगी बेहोश हो जाते हैं और यह डॉक्टरों के लिए एक चुनौती बन जाती है कि वह मरीज को कैसे देखें। एक अध्ययन के मुताबिक, कहा गया है कि आईसीयू में लगातार कई वैरिएबल की निगरानी की जाती है जैसे कि दिमाग के अंदर दबाव, रक्त वाहिकाओं पर दबाव का, और मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रेशर का। 

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शोधकर्ताओं के अनुसार, ये पैरामीटर रोगी की स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं, जिसमें इंट्राकैनायल दबाव अकेले रोजाना सैकड़ों हजारों डेटा बिंदुओं का उत्पादन करता है। इस नए आर्टिफिशियल सिस्टम से सैंकड़ों मरीजों की जानकारी पहले ही मिल गई। नए सिस्टम से रोह से पीड़ित लोगों की जानकारियां दे देता है जिससे की मरीज के इलाज के लिए डॉक्टरों को समय भी मिल जाता है। डॉक्टर इस बीच मरीज को बचाने के लिए हर संभव उपाय का इस्तेमाल करते हैं। जिससे मरीज को किसी भी कीमत पर बचाया जा सके। 

क्या होता है ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी

बता दें की ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी दिमाग में होने वाली वो चोट है जिसका विस्तार रूप बहुत सी परेशानियों को जन्म दे सकता है। इसका प्रभाव उस व्यक्ति विशेष जिसे यह परेशानी होती है और उसके परिवार के लिए बहुत ही विनाशकारी होता है। 

ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी को एक्वायर्ड ब्रेन इन्जरी भी कहते हैं यह तब  होता है जब हमारे सर पर लगी चोट का असर हमारे दिमाग पर होता है और इससे दिमाग के कुछ भाग डैमेज हो जाते हैं।इस चोट का असर तब भी हो सकता है जब कोई वस्तु हमारे दिमाग के टिश्यू तक चली जाये या हमारे दिमाग पर किसी वस्तु से तेज़ चोट लग जाये।ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि हमारे दिमाग में कितनी चोट लगी है। 

वो लोग जो माडरेट या सीवियर ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी के लक्षण दर्शाते हैं उनमें इस प्रकार की सारी स्थितियां पायी जाती हैं और इनके अलावा उन्हें अत्यधिक सरदर्द होता है और यह दर्द दिन पर दिन बढ़ता जाता है और आसानी से कम नहीं होता। इसके अलावा जो दूसरे लक्षण हैं वो हैं उल्टियां आना ,सोने के बाद उठने में परेशानी होना ,कमज़ोरी होना ,आराम ना कर पाना ,आवाज़ का भारी होना 

बचाव का तरीका

वो लोग जो माडरेट से सीवियर ट्रामेटिक ब्रेन इन्जरी के लक्षण दर्शाते हैं उन्हें हमेशा चिकित्सक की देखभाल की ज़रूरत होती है। ब्रेन डैमेज के बुरे प्रभावों से बचने के लिए चिकित्सक सिर्फ व्यक्ति की स्थिति को सामान्य रखने की कोशिश करता है और दिमाग को भविष्य में किसी मामूली चोट   से भी बचाने की सलाह देता है। 

अध्ययन के मुताबिक, इस रोग से पीड़ित लोगों को 30 दिन के अंदर बचाया जा सकता है। जिसमें करीब 80 से 85 फीसदी तक की संभावना है की मरीज को मौत से बचाया जा सके। 

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अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने दो तरह के एल्गोरिदम बनाए हैं, जिसमें एक तो सिर्फ नॉर्मल जानकारी देता है। वहीं, दूसरा एल्गोरिदम थोड़ा ज्यादा अच्छा है, जिसमें एक मरीज की स्थिति के स्तर पर डेटा देता है। 

हेलसिंकी विश्वविद्यालय से सह-लेखक के मुताबिक, सरल एल्गोरिथ्म की तुलना में अधिक जटिल एल्गोरिथ्म की सटीकता थोड़ी बेहतर है। फिर भी, दोनों एल्गोरिदम की सटीकता आश्चर्यजनक रूप से अच्छी है। यह देखते हुए कि सरल मॉडल केवल तीन चीजों पर आधारित है और करीब 5 चीजों पर खरा उतर रहा है। 

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाहरी डेटासेट का प्रयोग करके एल्गोरिदम को मान्य किया जाएगा।  

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