आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी अनियमितताओं के कारण भारत में दिल के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। हृदय मनुष्य की छाती के बीच, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब एक या ज्यादा आर्टरी रुक जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस स्थिति को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहा जाता है। इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे- हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता लेकिन यह समस्याएं भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है।
आजकल अति व्यस्तत जीवनशैली की वजह से लोगों की दिनचर्या अनियमित होती जा रही है। समय की कमी के कारण अधिकतर लोग जंक फूड पर ही निर्भर रहते हैं। रोज़मर्रा के खाने में घी-तेल, मैदा, चीनी और मिर्च-मसालों का भरपूर इस्तेमाल होता है। युवा पीढ़ी में एल्कोहॉल और सिगरेट पीने वालों की तादाद तेज़ी से बढ़ रही है। जहां एल्कोहॉल के सेवन से हार्ट के पंपिंग की गति अनियंत्रित होती है, वहीं निकोटिन में कई ऐसे विषैले तत्व पाए जाते हैं, जो हृदय की रक्तवाहिका नलियों के भीतरी हिस्से को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा सिगरेट पीने के बाद दिल की धड़कन के साथ ब्लडप्रेशर भी बढ़ जाता है, जो दिल की बीमारियों का कारण बन जाता है।
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क्या है समस्या
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक अपने खानपान और दिनचर्या के मामले में लापरवाही बरते तो इससे उसके हृदय की रक्वाहिका नलियों में नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल (लीपोप्रोटीन डिपॉजि़ट कोलेस्ट्रॉल) का जमाव हो जाता है। सामान्य अवस्था में हर धड़कन के साथ दिल खून की पंपिंग करके शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन से युक्त रक्त का प्रवाह सही ढंग से करता है लेकिन ऑर्टरी में ब्लाकेज होने की स्थिति में हार्ट की कार्यक्षमता कम हो जाती है और इससे रक्त प्रवाह में बाधा पैदा होती है खासतौर पर जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह नहीं पहुंचता तो इससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
ऑर्टरी ब्लॉकेज के लक्षण
- सीने के बाएं हिस्से में हलका या तेज़ दर्द होना, कभी-कभी यह दर्द कंधों, बांहों या जबड़े तक भी पहुंच जाता है।
- कभी-कभी नॉजि़या जैसे लक्षण भी नज़र आते हैं।
- ब्लॉकेज की वजह से शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजनयुक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इससे सांस लेने में तकलीफ, घुटन, बेचैनी, अनावश्यक थकान और कमज़ोरी महसूस होती है।
- ज़ुबान लड़खड़ाना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, तेज़ पसीना आना और हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
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ऑर्टरी ब्लॉकेज के उपचार
आमतौर पर आर्टरी में ब्लॉकेज का अंदेशा होने पर एंजियोग्राफी द्वारा ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है। अगर ब्लॉकेज हलका (20 से 45 प्रतिशत) हो तो उसे दवाओं से दूर किया जा सकता है, लेकिन समस्या गंभीर (80 से 90 प्रतिशत ब्लॉकेज) होने पर एंजियोप्लास्टी विधि द्वारा इसका उपचार किया जाता है। बैटरी से संचालित छोटा सा यंत्र पेसमेकर भी आटर्री ब्लॉकेज की समस्या में कारगर साबित होता है। इसे ऑपरेशन द्वारा हार्ट के पास फिट कर दिया जाता है। इससे निकलने वाली तरंगें दिल की धडकन को नियमित बनाए रखने में सहायक होती हैं। ज्यादा गंभीर स्थिति में बायपास सर्जरी भी की जाती है। अगर ब्लॉकेज बहुत ज्यादा हो तो पैरों के जरिये एंजियोग्राम तकनीक का इस्तेमाल संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में आर्टरी ग्राफ्ट और वेन ग्राफ्ट के तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक-एक करके हर आर्टरी को खोलकर वहां से ब्लॉकेज हटाया जाता है। यहां दिए केस में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। चूंकि, मरीज की आर्टरी की नलियां बेहद संकुचित थीं। उनका व्यास लगभग 1 एम एम था। अत: उसकी ग्राफ्टिंग के लिए बाल से भी ज्यादा बारीक धागे का इस्तेमाल किया गया था।
हार्ट ब्लॉकेज का घरेलू उपचार
प्रतिदिन सुबह में 3 से 4 किलोमीटर की सैर करें। सुबह लहसुन की एक कली लेने से कोलेस्ट्राल कम होता है। खाने में बैंगन का प्रयोग करने से कोलेस्ट्राल की मात्रा में कमी आती है। प्याज अथवा प्याज के रस का सेवन करने से हृदय गति नियंत्रित होती है। हृदय रोगी को हरी साग-सब्जी जैसे लौकी, पालक, बथुआ और मेथी जैसी कम कैलोरी वाली सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए। घी, मक्खन, मलाईदार दूध और तली हुई चीजों के सेवन से परहेज करें। अदरक अथवा अदरक का रस भी खून का थक्का बनने से रोकने में सहायक होता है। शराब के सेवन और धूम्रपान से बचना चाहिए।
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