बहुत सी चीज़ों के बारे में हम लापरवाह होते हैं। सांस लेना भी उनमें से एक है। हम सभी को ऐसा ही लगता है कि सांस लेना भी कोई काम है। लेकिन सांस के विषय में ऐसा सोचना हमारी सबसे बड़ी भूल है। योग विज्ञान का पूरा सिद्धांत ही इसी बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह से सांस लेते हैं। गलत तरीके से सांस लेने वाला व्यक्ति अपनी उम्र से कई साल कम जीता है। प्राणायाम का पूरा विज्ञान भी सांसों के सही संचालन और नियंत्रण पर टिका है।
शोध और सर्वे के नतीजे बताते हैं कि आधुनिक जीवनशैली में पला-बढ़ा दुनिया का हर इंसान गलत तरीके से सांस ले रहा है। शोध में पाया गया कि आधुनिक मनुष्य अपने फेफड़ों की सांसों को भरने की क्षमता का महज 30 फीसदी ही प्रयोग में ला रहा है। शेष 70 प्रतिशत क्षमता प्रयोग में न आने के कारण बेकार ही पड़ी है। सांसों का मनुष्य की आयु से सीधा संबंध होता है। छोटी, अधूरी और उथली सांस लेने के कारण इंसान अपनी वास्तविक उम्र में से कई साल घटा लेता है। आइये जानते हैं सांस लेने का सही तरीका क्या है:
गहरी और धीमी सांस
बढ़ते उम्र के साथ हमारी सांसें तेज चलने लगती हैं और हमारी कोशिकाओं तक ढंग से ऑक्सीजन नहीं पहुंचती, जिससे स्ट्रेट-रेस्पॉन्स सिस्टम भी ज्यादा सक्रिय हो जाता है। नतीजतन हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने लगती है और तरह-तरह के रोग हमें घेरने लगते हैं। इसलिए धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। अपने सांस को थाम कर छोड़ें और वैसे ही सांस खींचें। डॉंक्टरों के मुताबिक सांस लेने का सही तरीका तनाव, ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल और शरीर में एसिड के स्तर को कम करता है।
सांस लेने के तरीके
पहला तरीका: सही ढंग से सांस लेने के लिए पहला तरीका यह हो सकता है कि आप ओम उच्चारण को लंबा खींचें। इससे आपके सांस छोड़ने का समय अपने आप लंबा हो जाएगा।
दूसरा तरीका: संस्कृत में एक शब्द है उज्जयी, जिसका मतलब होता है विजेता। कहते हैं उज्जई सांस लेने का तरीका ‘विजेताओं के सांस लेने का तरीका होता है’। उज्जयी श्वसन में गले से धीरे-धीरे कर सांस छोड़ी जाती है। इस दौरान अपना ध्यान गले से होने वाली आवाज पर रखें। सांस छोड़ते हुए गले से कुछ हिस्ससस... जैसी आवाज आएगी। काफी हद तक दूर से समुद्र से आने वाली आवाज की तरह।
तीसरा तरीका: दाईं और बाईं नाक से बारी-बारी से सांस लें। आम भाषा में इसे प्राणायाम कह सकते हैं। प्राणायाम प्रणाली से सांस लेने पर हमारे दिमाग का दोनों भाग एक साथ काम करता है। दाईं नाक को दबाने पर आप बाईं ओर से सांस लेते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान हमारे दिमाग के दाएं भाग तक ऑक्सीजन पहुंच जाता है।
सावधानी
नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट और इंफेक्शन से दूर रहकर हम अपने फेफड़ों की सेहत को काफी दुरुस्त कर सकते हैं और प्रदूषण के प्रभावों से भी दूर रह सकते हैं। अपने श्वसन तंत्र को मजबूत करने के लिए इन बातों पर ध्यान दें। स्मोकिंग ना करें और स्मोकिंग करने वालों के साथ भी ना रहें। लकड़ी के धुएं के पास ना खड़े हों। कार का इंजन बेवजह चालू रखकर उसमें बैठे न रहें।