हम सभी को किसी न किसी बात की चिंता हमेशा रहती है। कुछ लोग जो ज्यादा सोचते हैं और चिंता करते हैं, वो तनाव यानी स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं। तनाव के भी बढ़ जाने पर आती है डिप्रेशन की स्टेज। डिप्रेशन को खतरनाक माना जाता है क्योंकि ये सिर्फ आपके मस्तिष्क को नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी खराब करने लगता है। मेडिकल साइंस में डिप्रेशन का इलाज करने के लिए एंटी-डिप्रेसैंट दवाएं उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल बहुत सारे लोग करते हैं। मगर हाल में हुए एक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने बताया है कि डिप्रेशन को खत्म करने के लिए अगर आप दवाओं के बजाय सही डाइट का सहारा लें, तो आपको जल्दी फायदा मिलेगा।
यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि पिछले कई अध्ययनों के बाद वैज्ञानिक यह बता चुके हैं कि एंटी-डिप्रेसैंट दवाओं का लंबे समय तक प्रयोग सेहत के लिहाज से खतरनाक हो सकता है। इसलिए इस रिसर्च को डिप्रेशन के मरीजों के लिए राहत भरी खबर माना जाना चाहिए। अगर डिप्रेशन के मरीज अपनी डाइट सही रखें, तो वो आसानी से डिप्रेशन से छुटकारा पा सकते हैं।
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खतरनाक होता है डिप्रेशन
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित Macquarie University के Heather Francis के अनुसार डिप्रेशन एक खतरनाक बीमारी है। अक्सर लोग इसे सिर्फ मस्तिष्क से जोड़कर देखते हैं, मगर ये बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित करती है। डिप्रेशन एक तरह से शरीर का क्रॉनिक इन्फ्लेमेट्री रिएक्शन है। आमतौर पर ये इन्फ्लेमेशन (सूजन) खराब डाइट और तनाव के कारण आती है।" डिप्रेशन का शिकार होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से इतना कमजोर हो जाता है कि उसे सामान्य जिंदगी जीने में परेशानी आती है और कई बार कुछ लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं।
खाने में किए गए ये छोटे से बदलाव
डिप्रेशन का शिकार इन लोगों को वैज्ञानिकों ने अपनी डाइट में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करने को कहे जैसे- डाइट में ऑलिव ऑयल. नैचुरल नट बटर, अखरोट, बादाम, सूरजमुखी के बीज, दालचीनी और हल्दी आदि शामिल करने को कहा गया। जबकि सभी मरीजों को हिदायत दी गई कि वे अपने खान-पान में कार्बोहाइड्रेट वाले आहार, शुगर, फैट और प्रॉसेस्ड मीट और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम कर दें। इस डाइट को 3 सप्ताह तक फॉलो करने के बाद ही इन लोगों का डिप्रेशन घट गया और ये बिल्कुल सामान्य हो गए।
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कैसे की गई रिसर्च
फ्रांसिस और उनकी टीम ने इस रिसर्च के लिए 76 ऐसे लोगों को चुना जो डिप्रेशन या गंभीर एंग्जायटी का शिकार थे। इन सभ की उम्र 17 से 35 साल के बीच थी और इनमें महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे। डिप्रेशन का शिकार होने के कारण इन सभी के रेगुलर खान-पान में फैट और शुगर बहुत ज्यादा शामिल था। मगर 3 सप्ताह के अध्ययन के दौरान इन लोगों ने अपनी डाइट में बदलाव किया और वैज्ञानिकों ने पाया कि उनके डिप्रेशन के स्तर में कमी आई है। ये रिसर्च PLOS ONE नाम के जर्नल में छापी गई है।
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