बच्चेदानी या गर्भाशय महिलाओं के शरीर का एक अहम हिस्सा है, लेकिन कुछ गंभीर बीमारियों में डॉक्टर इसे ऑपरेशन द्वारा निकालने की सलाह देते हैं। यह फैसला महिला की सेहत और तकलीफों को देखते हुए लिया जाता है।
गायनेकोलॉजिस्ट के मुताबिक
आपको बता दें कि गर्भाशय, गर्भधारण और शिशु के विकास में मुख्य भूमिका निभाता है। लेकिन कुछ स्थितियों में, इसे ऑपरेशन से हटवाना जरूरी हो जाता है। आइए गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन से जानते हैं किन बीमारियों या स्थितियों में बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत पड़ती है।
एंडोमेट्रियोसिस से जूझती महिलाएं
एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय के बाहर टिश्यू बढ़ जाते हैं, जिससे तेज दर्द और इनफर्टिलिटी हो सकती है। अगर दवाओं और सर्जरी से राहत न मिले, तो बच्चेदानी हटवाना अंतिम उपाय बनता है।
गर्भाशय का कैंसर
गर्भाशय, गर्भग्रीवा या डिंबग्रंथि के कैंसर की स्थिति में बच्चेदानी को निकालना जरूरी हो सकता है। इलाज में कीमोथेरेपी और रेडिएशन भी शामिल होते हैं।
गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या
फाइब्रॉइड एक तरह के बिनाइन ट्यूमर होते हैं जो भारी रक्तस्त्राव और दर्द का कारण बनते हैं। जब दवाएं कारगर नहीं होतीं, तो हिस्टेरेक्टॉमी जरूरी हो जाती है।
जब गर्भाशय का आकार बढ़ जाए
कुछ महिलाओं में गर्भाशय सामान्य से बड़ा हो जाता है। यह स्थिति असहजता, दर्द और मासिक समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। ऐसे मामलों में बच्चेदानी निकालना विकल्प बनता है।
यूटराइन प्रोलैप्स की स्थिति
जब पेल्विक मांसपेशियां कमजोर होकर गर्भाशय को योनि में खिसका देती हैं, तो इसे यूटराइन प्रोलैप्स कहते हैं। इससे पेशाब में दिक्कत और दर्द होता है, और सर्जरी जरूरी बनती है।
क्या हैं इसके दुष्प्रभाव?
बच्चेदानी निकलवाने से हार्मोनल बदलाव, मेनोपॉज के लक्षण और भावनात्मक असर हो सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही यह कदम उठाना चाहिए।
ऊपर बताए गए कारणों की वजह से महिलाओं को बच्चेदानी निकलवाने की जरूरत पड़ती है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com