कभी-कभी जब हम बहुत उदास होते हैं, तो भूख नहीं लगती या पेट भारी लगता है। क्या इसका सीधा संबंध पाचन तंत्र से है? आइए Pubmed की एक रिपोप्ट से जानते हैं।
भावनाएं और पेट का कनेक्शन
हमारे पेट और दिमाग एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस कनेक्शन को कहा जाता है “गट-ब्रेन एक्सिस”, जो मूड और पाचन दोनों को प्रभावित करता है।
डिप्रेशन से गैस्ट्रिक मूवमेंट धीमा
एक स्टडी के अनुसार, डिप्रेशन के मरीजों में पेट की सफाई की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। खाना देर से पचता है और भारीपन महसूस होता है।
क्या होता है गैस्ट्रिक एम्प्टींग?
जब पेट खाना धीरे-धीरे छोटी आंत की तरफ भेजता है, तो उसे गैस्ट्रिक एम्प्टींग कहते हैं। डिप्रेशन इसे 30–50% तक धीमा कर सकता है।
डिप्रेशन और कब्ज का संबंध
डिप्रेशन के कारण आंतों की गति भी धीमी हो सकती है, जिससे कब्ज या गैस की शिकायत बनी रहती है।
तनाव हॉर्मोन का असर
उदासी और तनाव से शरीर में कॉर्टिसोल जैसे हॉर्मोन बढ़ जाते हैं, जो पाचन क्रिया को बाधित करते हैं।
बदलता माइक्रोबायोम
उदासी हमारे पेट की हेल्दी बैक्टीरिया की संख्या को भी बदल सकती है, जिससे पाचन बिगड़ता है और सूजन या भारीपन महसूस होता है।
कैसे पहचानें ये संकेत?
लगातार पेट भारी रहना, भूख कम लगना, कब्ज, या डकारें आना, अगर ये सब उदासी के साथ हो रहे हैं, तो ये संकेत हो सकते हैं।
अगर भावनात्मक तनाव के साथ पाचन की दिक्कतें बार-बार हो रही हैं, तो डॉक्टर या थैरेपिस्ट से सलाह जरूर लें। मन और शरीर, दोनों का इलाज जरूरी है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com