हमारे शरीर की हड्डियां, मांसपेशियां, जोड़, लिगामेंट्स और टेंडन मिलकर मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम बनाते हैं। यह सिस्टम शरीर को आकार, स्थिरता और मूवमेंट देने का काम करता है। लेकिन सवाल यह है कि मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर क्या होता है? आइए हड्डी रोग विशेषज्ञ Dr. Ameet Pispati से जानते हैं इससे जुड़ी सारी बातें।
मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर क्या है?
मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर (MSD) शरीर की हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों, लिगामेंट्स या टेंडन से जुड़ी समस्याएं होती हैं। इसमें दर्द, सूजन, जकड़न या कमजोरी महसूस होती है, जिससे चलने-फिरने और रोजमर्रा के काम करने में परेशानी हो सकती है।
इसके कारण
गिरना, एक्सरसाइज के दौरान चोट लगना या भारी सामान उठाने से फ्रैक्चर, स्प्रेन या मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है। ये सभी मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर के मुख्य कारणों में से एक हैं।
अत्यधिक उपयोग और दोहराव
बार-बार एक जैसी एक्टिविटी करने से मांसपेशियों और जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे सूजन, दर्द और थकान हो सकती है। कार्पल टनल सिंड्रोम इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
ऑटोइम्यून और उम्र से जुड़ी समस्याएं
रूमेटॉयड आर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग और उम्र बढ़ने के साथ होने वाला हड्डियों का क्षय, मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर को जन्म दे सकते हैं। इनसे जोड़ों में सूजन और चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
इसके सामान्य लक्षण क्या हैं?
MSD में मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सूजन, सुबह की जकड़न, थकावट और कमजोरी जैसे लक्षण नजर आते हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं और काम करने में रुकावट पैदा कर सकते हैं।
मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर से कैसे बचें?
काम करते समय सही पॉश्चर रखें। लंबे समय तक एक ही मुद्रा में न बैठें। कंप्यूटर पर काम करते समय पीठ सीधी रखें और बीच-बीच में स्ट्रेचिंग करते रहें।
आहार, व्यायाम और वजन संतुलन
विटामिन D और कैल्शियम से भरपूर आहार लें। नियमित रूप से योग और स्ट्रेचिंग करें। वजन को कंट्रोल में रखना हड्डियों और जोड़ों पर दबाव को कम करता है।
अगर लगातार दर्द, सूजन या कमजोरी हो, तो डॉक्टर से मिलें। फिजियोथेरेपी, दवाएं या जरूरत पड़ने पर सर्जरी से इसका इलाज संभव है। हेल्थ से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com