दारूहरिद्रा के अर्क को रसौत कहते हैं। गाजियाबाद स्वर्ण जयंती के आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी से जानते हैं, इसके औषधीय गुणों के बारे में।
रसौत के अन्य नाम
<li>रसवंती </li> <li>रसंजना </li> <li>हब्बे रसौत </li>
कैसे बनता है रसौत?
कैसे बनता है रसौत? दारुहरिद्रा की जड़ व छाल को पानी में 5 से 6 घंटे पकाया जाता है। जब पानी 16 गुना कम हो जाता है तब इसे फिल्टर कर के 1 घंटे उबाला जाता है। इसके बाद इस अर्क को ठंडा किया जाता है।
गर्भाशय की सूजन घटाए
रसौत और पुष्यानुग के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाएं फिर इसका सेवन करें। यह ल्यूकोरिया और मेनोरेजिया की समस्या से निजात दिलाएगा। इसके साथ ही गर्भाशय की सूजन भी ठीक करेगा।
बवासीर से राहत
रक्तस्त्राव वाली जगह पर रसौत का प्रयोग धुलाई करने के लिए करें। इससे बवासीर की परेशानी में काफी आराम मिलेगा।
घाव और अल्सर
रसौत के साथ शहद को बराबर मात्रा में मिलाएं। अब इसे प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे घाव और अल्सर को ठीक करने में मदद मिलेगी।
आंखों के दर्द से छुटकारा
आंखों के दर्द, जलन और खुजली की दिक्कत से निजात पाने के लिए रसौत को पलकों पर लगाएं और कुछ देर के लिए छोड़ दें। अब ठंडे पानी से आंखों को साफ करें।
आंखों का लालपन दूर करे
इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए 250 मि.ग्रा. रसौत में 25 मि.ग्रा. गुलाबजल मिलाकर इसकी कुछ बूंदें आंखों में डालें।
पीलिया से राहत
रसौत में शहद की बराबर मात्रा मिलाएं। अब इसका सेवन करें। इससे लिवर से जुड़ी परेशानी के साथ पीलिया से भी राहत मिलेगी।
रसौत के नुकसान
आयुर्वेदाचार्य का कहना है, रसौत में विरेचक, लेक्सेटिव गुण होते हैं। इसे अधिक मात्रा में लेने से आपको बार-बार पेशाब आ सकती है।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही रसौत का सेवन करें। सेहत से जुड़ी ज्यादा बातें जानने के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com