डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, जो कई बार जानलेवा भी हो सकती है। इस रोग में रोगी के खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इसका असर शरीर के अन्य अंगों के साथ-साथ रोगी की किडनियों पर भी पड़ता है। कई बार बढ़े हुए ब्लड शुगर के कारण मरीज की किडनियां फेल हो सकती हैं। डायबिटीज के रोगियों में किडनी की समस्या होने पर कुछ संकेत दिखाई देते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
डायबिटीज में क्यों होती है किडनी फेल
किडनी में कई सारे छोटी रक्त वाहिकाएं होती हैं जो आपके रक्त से अशुद्ध पदार्थों को फिल्टर कर अलग कर देती हैं। डायबिटीज से होने वाला हाई ब्लड शुगर इन रक्त वाहिकाओं को नष्ट कर सकता है। समय के साथ-साथ किडनी अपना काम करने योग्य भी नहीं रह जाती है। कुछ समय बाद किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है। इसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं। डायबिटीज के मरीज अगर धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी, सिगार, हुक्का आदि का सेवन) करते हैं, तो उनमें डायबिटिक नेफ्रोपैथी का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को भई इस रोग का खतरा बहुत ज्यादा होता है। आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों में किडनी की समस्या होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।
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बार-बार पेशाब लगना
डायबिटीज के रोगी को आमतौर पर जल्दी-जल्दी पेशाब आती है। मगर किडनी खराब होने पर ये समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। इसके साथ ही किडनी के डैमेज होने पर मरीज के पेशाब से शरीर में मौजूद प्रोटीन भी निकलने लगता है, जिसका पता यूरिन की जांच करके लगाया जा सकता है।
धुंधला दिखाई देना
हमारे आंखों की रेटिना तक रक्त छोटी-छोटी धमनियों के जरिए पहुंचाया जाता है। उन धमनियों की खराबी से रेटिना को नुकसान हो सकता है। डायबिटिक नेफरोपैथी से पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराते रहना चाहिए, जिससे आंखों की रोशनी को बचाया जा सके, क्योंकि अनियमित मधुमेह से रेटिना की खराबी के कारण आंखों की रोशनी कम होती जाती है।
हाथ-पैर और नसों में सूजन
डायबिटिक नेफ्रोपैथी में पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है। इसमें रोगी के पैरों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसकी वजह से उन्हें पैरों में किसी प्रकार की चोट का एहसास नहीं होता है। ऐसे में अगर पैरों में किसी भी प्रकार की समस्या को नजरअंदाज ना करें।
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हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
जब किडनी में समस्या होनी शुरु होती है तो शरीर में कुछ तरह के बदलाव होने लगते हैं जिनमें से उच्च रक्तचाप एक है। रक्तचाप की समस्या तब होती है जब रक्त संचार में समस्या होती है और शरीर में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। डायबिटीक नेफरोपैथी में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती है जिससे रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता है।
दिल की बीमारी
डायबिटीक नेफरोपैथी के रोगियों में हृदय की बीमारियां स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में ज्यादा होती है। मधुमेह पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं होने के कारण हृदय की रक्त नालियों (धमनियों) में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है, जिससे रक्त के प्रवाह में रुकावट आ जाती है। परिणामस्वरूप हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से धमनियां अवरूद्ध हो जाती है और हृदयाघात हो सकता है।
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