वर्किंग वीमेन्स में बढ़ रहा है इन 5 बीमारियों का खतरा, ऐसे करें बचाव

भारत में वर्किंग वीमेन के बीच कुछ बीमारियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं। एसोचैम के सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी महिलाओं को कोई ना कोई लाइफस्टाइल डिसॉर्डर है। 42 फीसदी को पीठदर्द, बढ़ता मोटापा, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन की शिकायत है।
  • SHARE
  • FOLLOW
वर्किंग वीमेन्स में बढ़ रहा है इन 5 बीमारियों का खतरा, ऐसे करें बचाव

वर्किंग वीमेन यानि कामकाजी महिलाएं को परिवार और ऑफिस के बीच तालमेल बिठाने और बच्चों की देखरेख में इतना समय नहीं मिल पाता है कि वो अपनी सेहत का सही से खयाल रख सकें। दिनभर की भागदौड़ और अनियमित खान-पान का उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसीलिए भारत में वर्किंग वीमेन के बीच कुछ बीमारियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं। एसोचैम के सर्वे के मुताबिक 75 फीसदी महिलाओं को कोई ना कोई लाइफस्टाइल डिसॉर्डर है। 42 फीसदी को पीठदर्द, बढ़ता मोटापा, डिप्रेशन, डायबिटीज, हाइपरटेंशन की शिकायत है। दिल की बिमारी का जोखिम भी तेजी से बढ़ रहा है। हर 10 में से 6 महिलाओं को 35 साल की उम्र तक दिल की बिमारी होने का रिस्क है। ये बीमारियां लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई हैं मगर जानकारी के अभाव में ज्यादातर महिलाएं इन बीमारियों की तरफ ध्यान नहीं देती हैं जिसके गंभीर परिणाम होते हैं।

डिप्रेशन

आजकल की महिलाएं मल्टीटास्किंग हो गई हैं। उन्हें एक साथ कई काम करने की आदत होती है लेकिन उनके पास अपनी ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए शरीर को आराम देने व अपनी सेहत पर ध्यान देने के लिए वक्त नहीं है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक तनाव की चपेट में आती है। इसका एक कारण यह भी है कि महिलाओं के पास जॉब के अलावा भी कई जिम्मेदारियां होती है। जिसका अप्रत्यक्ष रूप से उन पर इसे अच्छी तरह निभाने का भी दबाव रहता है। महिलाओं को चाहिए कि अपने जिम्मे केवल उतना ही काम लें, जितना वो आसानी से निपटा सकें ताकि उन्हें बेवजह का तनाव न लेना पड़े। इसके अलावा पूरी नींद लें और थोड़ा एक्सरसाइज करें। एक शोध के मुताबिक ज्यादा तनाव में रहने वाले लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में दिल की बीमारियों की संभावना 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

इसे भी पढ़ें:- इन कारणों से होता है मूत्राशय में संक्रमण, जानें बचाव के उपाय

मोटापा

महिलाओं में कई कारणों से वजन बढ़ता है। गर्भावस्‍था और मीनोपॉज के समय वजन बढ़ना सामान्‍य माना जाता है। महिलाओं के लिए वजन बढ़ने की समस्‍या से दूर रहना मुश्किल हो जाता है। यदि महिला का वजन ज्‍यादा है तो उसे कई शारीरिक समस्‍यायें होने लगती हैं। ओवरवेट महिलाओं को दिल की बीमारी होने की ज्‍यादा संभावना होती है। इसके साथ वजन ज्‍यादा होने के कारण पैरों की एडियों का फटना, जोड़ों में दर्द रहना और त्‍वचा पर स्‍ट्रेच मार्क्‍स हो जाना आम बात है। वजन घटाने के लिए आप पानी खूब पिएं और जरूरत के हिसाब से प्रोटीन से भरपूर चीजें जैसे दाल, नट्स और सीड्स को खाने में शामिल करना न भूलें। खाने पर ध्‍यान देने के अलावा नियमित रूप से व्‍यायाम भी करना चाहिए। प्रतिदिन एक्‍सरसाइज करने से मोटापा बढ़ेगा नही और आपका शरीर फिट भी रहेगा।

माइग्रेन

माइग्रेन की समस्या इन दिनों काफी आम हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है अनियमित दिनचर्या, खान-पान की गलत आदतें व तनाव लेना। माइग्रेन से ग्रस्त लोगों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या कहीं ज्यादा है। माइग्रेन एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें सिरदर्द होता है। इस में सिर में एकतरफा दर्द होता है। इसलिए आम बोलचाल की भाषा में इसे अर्द्धकपाली भी कहा जाता है।यह प्राय: शाम के समय शुरू होता है। इसमें दर्द 2 से 72 घंटे तक हो सकता है। महिला के जीवन चक्र के दौरान बदलता हार्मोनल वातावरण जैसे मासिक धर्म की शुरुआत, मासिक धर्म, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, गर्भधारण, रजोनिवृत्ति और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) आदि से माइग्रेन की अवधि पर काफी प्रभाव पड़ सकता है।

इसे भी पढ़ें:- हर महिला को थायरॉइड के बारे में जरूर जाननी चाहिए ये 5 बातें

डायबिटीज

मधुमेह ऐसी बीमारी है जिसकी शिकार महिलाएं ही अधिक होती है। मधुमेह के कारण महिलाओं को कई और बीमारियां भी घेर लेती हैं। मधुमेह के दौरान शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, इसमें पेंक्रियाज़ ग्रंथी सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती है। इस ग्रंथि में इंसुलिन के अलावा कई तरह के हार्मोंस निकलते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस

एक शोध के मुताबिक हर दस में से चार स्त्रियों को यह समस्या घेर रही है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर्स  की आशंका बढने लगती है। लेकिन हड्डी रातों-रात कमजोर  नहीं होती, यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। उम्र के साथ-साथ शरीर में कई बदलाव होते हैं। मांसपेशियां उतनी मजबूत नहीं रहतीं, आंखें कमजोर  होने लगती हैं, त्वचा चमक खोने लगती है। इसी तरह हड्डियां भी कमजोर  होने लगती हैं। स्त्रियों को ऑस्टियोपोरोसिस ज्यादा परेशान करता है। इसका कारण यह है कि मेनोपॉज  के बाद उनकी हड्डियों में कैल्शियम, विटमिन डी और मिनरल्स  की कमी होने लगती है और इससे हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगती हैं। प्रौढ या वृद्ध लोगों को कूल्हे, घुटने या कंधों में फ्रैक्चर्स की शिकायत होती है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Women Health in Hindi

Read Next

इन कारणों से होता है मूत्राशय में संक्रमण, जानें बचाव के उपाय

Disclaimer