गाय का देसी घी खाने से नहीं बढ़ता वजन, दूर होती हैं ये 5 जानलेवा बीमारियां

न्यूट्रिशनिस्ट की मानें तो यह तरीका सही नहीं है। अगर आप भी घी से परेहज करते हैं तो जान लें कि गाय का घी स्वादिष्ट और सुगंधित होने के साथ-साथ वज़न को नियंत्रित करने, ऊर्जा स्तर को बढ़ाने और त्वचा के लिए बहुत गुणकारी होता है। पीएसआरआई हॉस्पिटल, दिल्ली की डायटेटिक्स देबजानी बनर्जी दे रही हैं, देसी घी से जुड़ी कुछ खास जानकारियां।
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गाय का देसी घी खाने से नहीं बढ़ता वजन, दूर होती हैं ये 5 जानलेवा बीमारियां

सेहत के प्रति अतिरिक्त सजगता के कारण कई बार लोग बिना घी की चपाती और दाल खाना पसंद करते हैं। उन्हें वज़न बढऩे का डर सताता है। न्यूट्रिशनिस्ट की मानें तो यह तरीका सही नहीं है। अगर आप भी घी से परेहज करते हैं तो जान लें कि गाय का घी स्वादिष्ट और सुगंधित होने के साथ-साथ वज़न को नियंत्रित करने, ऊर्जा स्तर को बढ़ाने और त्वचा के लिए बहुत गुणकारी होता है। पीएसआरआई हॉस्पिटल, दिल्ली की डायटेटिक्स देबजानी बनर्जी दे रही हैं, देसी घी से जुड़ी कुछ खास जानकारियां।

रोज़ाना एक टीस्पून घी ज़रूरी है। यह मानसिक व शारीरिक रूप से व्यक्ति को मज़बूत बनाता है और शरीर की गंदगी को साफ करने के लिए भी काम करता है। घी में विटमिन के, डी, ई और ए पाया जाता है, जो ब्लड सेल में जमा कैल्शियम को हटाने का काम करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। यह इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करता है, जिससे इन्फेक्शंस और बीमारियों से लडऩे में ताकत मिलती है।

भैंस के घी में कैलरीज़ की मात्रा अधिक होती है जबकि गाय के घी में कैलरीज़ कम मात्रा में पाई जाती हैं। इसलिए यह सेहत के लिहाज़ से सही रहता है। गाय का घी घर में बिना प्रिज़र्वेटिव के तैयार किया जाता है तो यह सैचुरेटेड फैट का अच्छा सोर्स होता है। बाजार से घी खरीदते हों तो कुछ बातों का ध्यान रखें। पैक पर हाइड्रोजेनेटेड ऑयल और ट्रांस्फैट लिखा हो तो उसे न खरीदें।

बहुत से लोग ऐसे हैं, जो वज़न बढऩे के डर से घी का सेवन नहीं करते लेकिन अगर गाय के घी का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो वज़न तो नियंत्रित रहता ही है, साथ ही हर प्रकार की बीमारी से भी बचे रहते हैं।

घी से रक्त और आंतों में मौज़ूद कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्योंकि इसमें बाइलरी लिपिड का स्राव बढ़ जाता है, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को घटाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए अपने आहार में गाय के घी को शामिल करें।

घी का स्मोकिंग पॉइंट दूसरे ऑयल व फैट की तुलना में बहुत अधिक होता है। यही कारण है कि पकाते समय यह आसानी से नहीं जलता और खूब धुआं भी करता है।

हार्ट में ब्लॉकेज होने पर देसी घी एक ल्यूब्रिकेंट की तरह काम करता है। जिसे हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है, वह गाय का घी खाए, इससे दिल मज़बूत होता है।

गाय के घी में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और चेहरे की चमक बरकरार रखता है। साथ ही यह त्वचा को नमी प्रदान कर उसे मुलायम बनाता है, जिससे स्किन की ड्राइनेस कम होती है।

घी शरीर में जमे फैट को गला कर विटमिन में बदलने का काम करता है। इसमें चेन फैटी एसिड्स कम मात्रा में होते हैं, जिससे आपका खाना जल्दी डाइजेस्ट होता है और मेटाबॉलिजम सही रहता है। दाल या सबजी में देसी घी मिलाकर खाने से खाना सुपाच्य हो जाता है।

देसी घी में सीएलए होता है, जो मेटाबॉलिज्म को सही रखता है। इससे वज़न कंट्रोल में रहता है। सीएलए इंसुलिन की मात्रा को कम रखता है, जिससे वज़न बढऩे और शुगर जैसी दिक्कतों का खतरा कम रहता है। अगर आप घी की जगह रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसा न करें। रिफाइंड में पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स होता है, जो सेहत बिगाडऩे का काम करता है, इसलिए इसका सेवन बंद कर दें। रिफाइंड की जगह देसी घी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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