एक सपाट पेट रखने का विचार किसके मन में नहीं आता होगा। मेरे ख्याल से ऐसा हर कोई सोचता होगा कि उसके शरीर का वजन सही रहे। वैसे तो पेट की वसा से छुटकारा पाना बहुत ही मुश्किल काम होता है। हालांकि, आयुर्वेद के द्वारा पेट से जिद्दी वसा को कम किया जा सकता है, बल्कि यह वजन को कम करने के प्राकृतिक तरीके भी प्रदान करते हैं। आयुर्वेद का मानना है कि हमारा वजन उन कारकों की वजह से बढ़ता है जिनमें व्यायाम की अनुपस्थिति, अधिक नींद, अस्वस्थ आहार और खराब जीवनशैली शामिल होती है।
ये सभी कारक एक-दूसरे से जुड़ते हैं, जिससे विशेष रूप से पेट के आसपास वसा का जमाव होने लगता है जोकि मोटापा का कारण बनता है। आयुर्वेद की मानें तो मोटापे को वसा ऊतक और चयापचय के विकार के रूप में माना जाता है। इस स्थिति में, वसा ऊतक पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं, जिससे वजन बढ़ जाता है। यहां हम उन 5 आयुर्वेदिक औषधियों की बात कर रहे हैं जो आपको इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाएगी।
मेथी
वजन घटाने में मदद करने के लिए मेथी का विकल्प सबसे अच्छा है। यह पाचन का समर्थन करता है। गैलेक्टोमन, जो कि मेथी में पाया जाने वाला एक पानी घुलनशील घटक है। यह बार-बार भूख लगने की आपकी इच्छाओं को रोकने में मदद करता है और लंबे समय तक पेट भरा रखता है। इसके अलावा, यह शरीर की चयापचय दर में वृद्धि में भी मदद करता है। आपको बस कुछ मेथी बीजों को भूनना है और उन्हें पाउडर के रूप में तैयार करना है। पानी के साथ कुछ पाउडर को सुबह में खाली पेट खाएं
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गुगुल
गुगुल हर्बल उपचार है जिसे लंबे समय से विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। गुगुल में एक पौधे स्टेरोल होता है जिसे गुगुलस्टरोन कहा जाता है जिसे शरीर के चयापचय को उत्तेजित करके वजन घटाने को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अलावा, यह एक प्राकृतिक रूप से कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली औषधि के रूप में भी जाना जाता है। गुगुल चाय को कई तरीकों से प्रभावी माना जाता है।
विजयसार
यह एक पर्णपाती पेड़ है, जिसकी छाल मधुमेह और मोटापे का प्रबंधन करने के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में प्रयोग की जाती है। कहा जाता है कि विजयसार में वसा कम करने वाले गुण होते हैं जो उस जिद्दी पेट की वसा को बहाल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, एक स्वस्थ पाचन तंत्र सुनिश्चित करने के लिए राल और छाल का उपयोग किया जाता है। प्रभावी परिणाम प्राप्त करने के लिए आप विजयसार का उपयोग करके हर्बल चाय पी सकते हैं।
त्रिफला
त्रिफला शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को फिर से जीवंत करता है। त्रिफला एक प्राचीन औषधि है जिसमें तीन सूखे फलों का मिश्रण होता है, जिनमें अमालाकी (आमला), बिबिताकी और हरितकी शामिल हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ इसे रात्रिभोज के बाद कम से कम दो घंटे और नाश्ते से आधे घंटे पहले गर्म पानी में त्रिफला चूर्ण के सेवन की सलाह देते हैं।
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दालचीनी
दालचीनी शरीर के चयापचय को उत्तेजित करने में मदद करती है, जो पेट की चर्बी को काटने में मदद करती है। जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन साइंस एंड विटामिनोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, दालचीनी में मौजूद सिनामाल्डेहाइड फैट को कम करने में मदद करते हैं। सुबह-सुबह एक कप दालचीनी चाय पीएं और मोटापा को कहें बाय बाय।
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