बदलते मौसम में भी अस्‍थमा को कंट्रोल रखते हैं 5 ऐसे फूड

ऐसी कई चीजें हैं जिनसे एलर्जी और अस्‍थमा अटैक पड़ने का खतरा होता है। तो, आइए जानते हैं कि आपकी रसोई में ऐसे कौन से खाद्य पदार्थ हैं जो आपको अस्‍थमा से लड़ने में मददगार हो सकते हैं।
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बदलते मौसम में भी अस्‍थमा को कंट्रोल रखते हैं 5 ऐसे फूड


ऐसे खाद्य पदार्थों की लिस्‍ट बहुत लंबी है जिनसे अस्‍थमा के मरीजों को दूर रहने की सलाह दी जाती है। ऐसी कई चीजें हैं जिनसे एलर्जी और अस्‍थमा अटैक पड़ने का खतरा होता है। तो, आइए जानते हैं कि आपकी रसोई में ऐसे कौन से खाद्य पदार्थ हैं जो आपको अस्‍थमा से लड़ने में मददगार हो सकते हैं।

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एंटी-ऑक्‍सीडेंट

अपने खाने में, जितना संभव हो सके एंटी-ऑक्‍सीडेंट भोजन को शामिल करें। ऐसा भोजन जिसमें 'विटामिन-सी' की मात्रा अधिक हो आपके भोजन का अहम हिस्‍सा होना चाहिए। 'विटामिन-सी' सूजन और जलन को कम करने में मदद करता है। यह फेफड़ों पर असर करता है और श्वसन संबंधी समस्‍याओं से लड़ने में सहायता करता है। खट्टे फल और जूस, ब्रोक्‍कोली, स्‍क्‍वाश और अंकुरित आहार ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा होती है।

विटामिन सी

अपने बोरिंग खाने में जरा रंग भरिए। गहरे रंग के फलों और सब्जियों, जैसे खुबानी, गाजर और लाल व पीली मिर्च और पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों, अस्‍थमा के मरीजों के लिए लाभप्रद बीटा-कैरोटीन नाम का एक खास तत्‍व पाया जाता है। जिस सब्‍जी या फल का रंग जितना गहरा होगा उसमें एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स की मात्रा उतनी अधिक होगी।

विटामिन ई

यूं तो विटामिन-ई काफी गुणों से भरपूर होता है, लेकिन अस्‍थमा मरीजों को इससे जरा दूर ही रहना चाहिए। यह खाना पकाने के लगभग सभी तेलों में मौजूद होता है, लेकिन इसका इस्‍तेमाल जरा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। सूरजमुखी के बीज, केल (एक प्रकार की गोभी), बादाम और अधिक साबुत अनाजों में विटामिन- ई की मात्रा कम होती है। इन आहारों को अपने भोजन में अवश्‍य शामिल करें।

विटामिन बी  

ऐसा भोजन जिसमें विटामिन-बी मौजूद हो, अस्‍थमा के मरीजों के भोजन का अहम हिस्‍सा होना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां और दालें, अस्‍थमा मरीजों को तनाव के जरिए होने वाले अटैक से बचाने में सहायक होती हैं। इस बात के भी साक्ष्‍य मिले हैं कि विटामिन बी6 और नियासिन (विटामिन बी3, निकोटिन और विटामिन पीपी) की कमी से भी अस्‍थमा का खतरा बढ़ जाता है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड

ओमेगा-3 फैटी एसिड फेफड़ों में होने वाली जलन और उत्तकों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। यह जानना बहुत जरूरी है लगातार जलन और खांसी से उत्तकों को काफी नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नियमित अस्‍थमा अटैक आते रहते हैं। यह मुख्‍य रूप से सलमन, मैक्‍रेल और ऐसी मछलियों में पाया जाता है जिनमें ऑयल की मात्रा अधिक होती है।

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