कोरोना वायरस मरीज के संपर्क में आने और सारे लक्षण दिखने के बाद भी कुछ लोगों का टेस्ट निगेटिव क्यों आ रहा है?

चिंता की बात है कि 30% मरीजों में कोरोना वायरस के सब लक्षण दिखने के बाद भी टेस्ट निगेटिव आ रहा है। जानें गलत निगेटव टेस्ट आने के क्या कारण हो सकते हैं
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कोरोना वायरस मरीज के संपर्क में आने और सारे लक्षण दिखने के बाद भी कुछ लोगों का टेस्ट निगेटिव क्यों आ रहा है?

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें व्यक्ति कोरोना वायरस मरीज के संपर्क में आया है, उसमें कोविड-19 के सारे लक्षण (COVID-19 Symptoms) भी महसूस हो रहे हैं, लेकिन कोविड-19 टेस्ट (COVID-19 Test) करने पर रिजल्ट गलत निगेटिव (Fasle Negative) आ रहा है। ऐसे मरीज चिंता का विषय हैं क्योंकि बिना जांच पॉजिटिव आए इनका इलाज नहीं शुरू किया जा सकता है और अगर ऐसे लोग अगर क्वारंटाइन का पालन न करें, तो वायरस को तेजी से फैला सकते हैं। हैरानी की बात ये है कि कुछ दिनों का इंतजार करने या कई बार जांच करने पर इनमें से कुछ मरीज पॉजिटिव निकल आते हैं।

भारत में बाजार और कार्य-व्यापार भले ही खोल दिए गए हैं, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण अभी थमा नहीं है। भारत में पिछले कई दिनों से प्रतिदिन कोरोना वायरस के 8-9 हजार मामले सामने आने लगे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि 80% मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं और वे बिल्कुल सामान्य और स्वस्थ नजर आते हैं या बहुत हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, जो आम फ्लू के मरीजों में भी देखे जा सकते हैं। ऐसे में जिन मरीजों का टेस्ट गलत निगेटिव आ रहा है, वो खतरा बन सकते हैं। सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है कि कुछ लोगों का कोरोना वायरस टेस्ट गलत निगेटिव आ रहा है?

coronavirus test

2 तरह से किया जा रहा है मरीजों को टेस्ट

फिलहाल कोरोना वायरस मरीजों की जांच के लिए 2 तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। पहला है RT-PCR टेस्ट, जिसमें मरीज के नाक या मुंह से स्वैब लिया जाता है और दूसरा है एंटीबॉडी टेस्ट, जिसमें खून की जांच की जाती है। इनमें से विश्वसनीय और निर्णायक टेस्ट RT-PCR ही है।

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जो लोग कोरोना वायरस मरीजों के सीधे संपर्क में आए हैं और जिनमें क्वारंटाइन के दौरान लक्षण दिखाई दिए हैं, संदिग्धता के आधार पर उनका भी टेस्ट किया जा रहा है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार 30% मरीज ऐसे हैं, जो पॉजिटिव होने के बावजूद जांच में निगेटिव आ रहे हैं। ऐसे लोगों को क्वारंटाइन करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प न तो सरकार के पास है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स के पास।

टेस्ट के गलत निगेटिव आने के हो सकते हैं 3 कारण

  • एक्सपर्ट्स के अनुसार कोविड-19 के मरीजों के गले या मुंह से स्वैब लेकर टेस्ट किया जा रहा है। कई बार म्यूकस मेंब्रेन के जिस हिस्से से स्वैब सैंपल लिया जाता है, उस जगह पर पर्याप्त संख्या में वायरस मौजूद नहीं होते हैं, जो टेस्ट में पकड़े जा सकें। इसलिए मरीज की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है।
  • कई बार कोरोना वायरस नाक या थ्रोट के हिस्से में कम संख्या में होते हैं, जबकि फेफड़ों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाने लगते हैं। ऐसी स्थिति में भी मरीज में लक्षण तो सारे दिखाई देते हैं, लेकिन टेस्ट निगेटिव आता है।
  • सैंपल कलेक्ट करने के बाद उसको टेस्ट करने में देरी करना गलत निगेटिव रिजल्ट आने का एक तीसरा कारण हो सकता है। दरअसल RT-PCR टेस्ट में SARS-CoV-2 virus की ऊपरी खोल या RNA की पहचान की जाती है। कई बार जांच से पहले ही RNA टूट जाता है, जिससे टेस्ट में वायरस निगेटिव आ जाता है।

लगातार बदल रहा है वायरस का स्वरूप

दरअसल कोरोना वायरस ने इतनी तेजी से दुनिया में फैलकर तबाही मचानी शुरू की है कि वैज्ञानिकों को अभी तक इस वायरस के बारे में पूरी तरह जानने, समझने और इसकी जांच करने या इलाज के तरीके ढूंढने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाया है। दूसरी समस्या यह है कि ये वायरस अपना जेनेटिक स्ट्रक्चर बदलता जा रहा है। इसलिए भी वैज्ञानिकों के किसी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले ही ये वायरस नए तरह से रिएक्ट करने लगता है। दुनियाभर की रिपोर्ट्स के अनुसार दिसंबर 2019 के बाद से अब तक अलग-अलग हिस्सों में इसके लक्षण भी अलग-अलग तरह से पाए गए हैं।

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covid-19 sample collection

लक्षण दिखने लेकिन टेस्ट निगेटिव आने पर क्या करना चाहिए?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति संक्रमित रोगी के संपर्क में आया है,  लेकिन टेस्ट निगेटिव आया है, तो भले ही उसमें कोई लक्षण दिखें या न दिखें, उसे खुद को कम से कम 14 दिन आइसोलेट रखना चाहिए। इससे अगर टेस्ट फाल्स निगेटिव था, तो लक्षणों के और स्पष्ट होने पर दोबारा जांच की जा सकती है। और अगर मरीज एसिम्पटोमैटिक (बिना लक्षणों वाला) है, तो भी वायरस को दूसरों में फैलने से रोका जा सकता है।

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