गिलास को आधा खाली देखना नकारात्मक माना जाता है और आधा भरा सकारात्मक। खाली गिलास को निराशावाद से जोड़कर देखा जाता है। आप गिलास को कैसा देखते हैं। आधा खाली या आधा भरा हुआ। कई बार किसी चीज के बारे में लगातार चिंता करते रहना ही नाकामयाबी का डर बन जाता है। नकारात्मक सोच ही हमें कामयाब होने से डराती है।
इतनी बुरी नहीं है नकारात्मकता
माना जाता है कि कामयाबी का अहम सूत्र सकारात्मक सोच है। लेकिन, क्या वाकई ऐसा है। क्या नकारात्मक सोच रखने वाले कभी कामयाब नहीं हो सकते। इस धारणा को न केवल चुनौती दी जा रही है, बल्कि इसे गलत साबित करने के लिए कई तथ्य और आधार भी मौजूद हैं। कई ऐसे सफल नाम है, जिनका दृष्टिकोण नकारात्मक है। वे इस बात को लेकर हमेशा संशय में रहते थे कि कहीं वे नाकामयाब न हो जाएं। लेकिन, माना जाता है कि उनकी इसी चिंता ने असल में उन्हें कामयाब होने में मदद की।
नकारात्मक सोच से आपकी मनोदशा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार नकारात्मक सोच स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बनती है। रक्तचाप और हृदय रोग जैसी बीमारियों को लगातार नकारात्मक सोच से जोड़कर देखा जाता रहा है। लेकिन, इसके बावजूद नकारात्मक होना इतना बुरा भी नहीं है, जितना कि अब तक माना जाता रहा है।
बेहतर नेता बनाना
बेशक पॉजीटिव रहने के फायदे ज्यादा हैं। लेकिन, कई बार नेगेटिव होना बेहतर परिणाम की झूठी उम्मीदों से बचाती है। यह आपको ज्यादा लचीला रुख अपनाने से रोकती है। यह आपको वास्तविकता के अधिक करीब रखती है।
चीजों के बारे में अधिक चिंतित
नकारात्मक सोचने पर लोग गलत होती चीजों के बारे में अधिक चिंतित होते हैं। वहीं सकारात्मक लोग गलत परिणामों की ऐसी संभावनाओं को सुनना नहीं चाहते। लेकिन, निराशावादी लोग बद से बदतर परिणाम के लिए मानसिक रूप से तैयार रहते हैं।
तथ्यों के आधार पर नकारात्मक सोच
किसी भी चीज की अति खतरनाक हो सकती है। हर समय नकारात्मक सोच रखने से आप दुख और अवसाद का शिकार हो सकते हैं। लेकिन तथ्यों के आधार पर नकारात्मक सोच व्यक्ति को अधिक यथार्थवादी बनने और वास्तव में चीजों को समझने में मदद करती है। यह आपको खराब परिणाम का सामना करने का साहस प्रदान करती है। इसके साथ ही यह आपको नाकामी के पीछे के संभावित कारणों की ज्यादा प्रखर होकर विश्लेषण करने का मौका भी देती है।
नकारात्मक सोच का स्वयं का सकारात्मक पक्ष
सकारात्मक सोच क्या होती है। यही न कि आप विपत्ति के समय भी रोशनी की किरण तलाश लेते हैं। ऐसी सकारात्मक सोच किस काम की, जिसमें हालात खिलाफ जाते ही आप घबरा जाएं। नकारात्मक सोच का स्वयं का सकारात्मक पक्ष होता है, जो सकारात्मक दृष्टिकोण की तरह इसे भी महत्वपूर्ण बना देता है। बेशक, आपको सकारात्मक होना चाहिये, लेकिन आप नकारात्मक सोच को दरकिनार नहीं कर सकते। सिक्के के दोनों पहलुओं पर समान रूप से ध्यान दिये जाने की जरूरत होती है।
नकारात्मक विचारों से बचें नहीं
हम अकसर नकारात्मक विचारों और निराशावादियों को नापंसद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आशावादी लोग अपनी पक्ष में हो रही चीजों की सराहना करके राहत की भावना को महसूस करते हैं। वहीं दूसरी ओर निराशावादी विफलताओं और आलोचनाओं से सीखते हैं।
चीजें हमेशा एक जैसी नहीं होती
लक्ष्य हासिल करने के लिए सकारात्मक सोच को जरूरी माना गया है। लेकिन, क्या चीजें हमेशा वैसी ही होती हैं, जैसा हम सोचते हैं। नहीं ना। हालात अकसर हमारी सोच और योजनाओं के खिलाफ जाते हैं। कई चीजें आपको हैरान करेंगी। कई अनजान मोड़ भी आएंगे। कई बार नाकामी भी हाथ लगेगी। कई बार अति सकारात्मकता इन हालात में आपको मुश्किल में डाल देती है। आपके लिए हालात को स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है।
उम्मीद के साथ नकारात्मक सोच
नकारात्मक सोच का अर्थ यह नहीं कि आप उम्मीद छोड़ दें। उम्मीद के साथ नकारात्मक होना आपको चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटना ज्यादा मदद करेगा। यदि हम सकारात्मक हैं, तो हमारा ध्यान हमेशा अनुकूल परिणाम पर रहेगा। वहीं निराशावादी प्रतिकूल परिस्थितियों के बारे में चिंता करता है। बहुत संभव हैं कि वह इस स्थिति का सामना करने के लिए भी तैयार भी रहे।
मुश्किलें जिंदगी का हिस्सा हैं। जीवन रूपी नदी में कई बार कठिन मोड़ आते हैं। और विफलता के लिए संभावित कारणों पर ध्यान केंद्रित करके ही सफलता का असली आनंद लिया जा सकता है। इसके अलावा, नकारात्मकता झूठे विज्ञापन जैसे कारकों के लिए आपको और अधिक लचीला बनाती है। आप वास्तविक स्थिति का ठीक आकलन कर पाते हैं। अपने नकारात्मक विचारों का पालन करें और सकारात्मक रहें। आप कह सकते हैं सकारात्मकता और नकारात्मकता जीवन की गाड़ी के दो पहिये हैं, जिनमें सही संतुलन और सामंजस्य होना जरूरी है।