नवरात्र व्रत शनिवार यानि कि 6 अप्रैल से शुरू होने वाले हैं। इस खास के प्रति हर किसी के मन में श्रृद्धा भाव होता है। इस अवसर पर व्रत रखना और मां दुर्गा के प्रति आस्था व्यक्त करना सबसे बड़ा कार्य होता है। नवरात्र व्रत के दौरान कुट्टू के आटे की बनी चीजें खाने का चलन है। नवरात्रि में कुट्टु के आटे की रोटी या पकौड़ी बनाकर चाय या फिर और टमाटर की चटनी के साथ स्वाद लेकर खाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान अनाज का सेवन नहीं किया जाता है। यही एक बड़ा कारण है कि नवरात्रि में कुट्टु के आटे की मांग बढ़ जाती है और यह महंगा भी हो जाता है। इस बढ़ी हुई मांग पर पूरे काले बाजार की नजर रहती है। इस दौरान बाजार में लोगों को ठगने की मंसा से कई नकली आटा भी मिलता है। जिससे बाजार में जहरीला कुट्टू का आटा आने लगता है। 2011 में इस जहरीले कुट्टू के आटे को खाकर अकेले दिल्ली में 200 लोगों के बीमार होने की खबर आई थी। आज हम आपको जहरीली आटे से बचने के तरीके और इसके नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
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क्या होता है "कुट्टू का आटा"
कुट्टू का आटा बक्वीट के पौधों के बीजों से बनता है। दरअसल मिलावटखोरों की वजह से पिछले कुछ सालों से नवरात्रि में व्रतियों के लिए कुट्टू के आटे से बना खाना जहर साबित हुआ है। जबकि कुट्टू का आटा अपने अंदर बहुत से गुण छिपाए हुआ है। लेकिन ये जहर तब बन जाता है जब ये पुराना होता है। विशेषज्ञों की मानें तो कुट्टू का आटा बनने के एक माह तक ही खाने लायक रहता है और उसके बाद ये खराब हो जाता है। पुराना होने पर ये जहरीला हो जाता है और खाने के अनुकूल नहीं रहता।
कुट्टू सिंघाड़ा से भी बनता है और बक्वीट के पौधों के बीज से भी। कुट्टू कहे जाने वाले आटे को अंग्रेजी में 'बक्वीट' तो पंजाब में 'ओखला' के नाम से जाना जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में 'फैगोपाइरम एसक्युल्युटम' कहते है। ये बक्वीट का पौधा होता है।
क्या है बकवीट का पौधा
- बक्वीट का पौधा काफी तेजी से बढ़ता है और 6 हफ्तो में ही इसकी लंबाई 50 इंच तक बढ़ जाती है।
- बक्वीट के पौधे में सफेद फूल लगते हैं जिसमें से बीज निकाले जाते हैं।
- इन बीजों को ही महीन पीसकर कुट्टू का आटा तैयार किया जाता है।
लेकिन दुकानदार इस आटे में सिंघाड़ा गिरी को पीसकर बनाया गया आटा भी मिला देते हैं। हिंदू व्रतधारी व्रत के दौरान इस आटे की पूड़ी व पकौड़े बनाकर व्रत खोलते हैं।
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बक्वीट है फायदेमंद
बक्वीट एक फायदेमंद पौधा है जिससे दवाइयां भी बनती हैं। इसमें मौजूद 75 प्रतिशत कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं और 25 प्रतिशत हाई क्वॉलिटी प्रोटीन होते हैं जो वजन कम करने में सहायक होते हैं। ये दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसमें मैगनीशियम, फाइबर, विटामिन-बी, आयरन, फास्फोरस की मात्रा अधिक होने के कारण इसका इस्तेमाल कई दवाइयों में भी किया जाता है।
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तो फिर कैसे होता है ये जहरीला
अब कई लोगों के दिमाग में ये बात आएगी कि कुट्टू का आटा जब इतना फायदेमंद होता है तो वो जहरीला कैसे हुआ। दरअसल जब कुट्टू का आटा एक महीना पुराना हो जाता है तो इसमें फंगस लगना शुरू हो जाता है जिस कारण ये जहरीला हो जाता है। अब ऐसे में कैसे पता लगायें कि कुट्टू का आटा खाने के लायक है या नहीं। तो ये रहें कुछ टिप्स-
- कुट्टू का आटा लेते समय ध्यान रखें कि उसमें काले दाने जैसा तो कुछ नहीं।
- आटा खुरदरा ना हो।
- आटा सील बंद पैकेट में ही लें।
- कीड़े ना लगे हों आटे में।
- हमेशा बाजार से लाया गया आटा छानकर इस्तेमाल करें।
- वर्तमान में बाजार में इस आटे की कीमत 80 से 120 रुपये किलो है। अगर कोई इससे कम दाम में आटा बेच रहा है तो वो नकली दे रहा है।
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