इन योगासन से करें डिमेंशिया का उपचार

यूं तो योगा आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है लेकिन क्या आप जानते हैं अपनी याददाश्त दुरुस्त रखने के लिए भी योग का सहारा लिया जा सकता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
इन योगासन से करें डिमेंशिया का उपचार


डिमेंशिया ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति की याददाशत कमजोर होने लगती है। उसे कुछ याद नहीं रहता है। हाल ही की कोई बात याद करने के लिए भी उसे दिमाग पर बहुत जोर डालना पड़ता है। यह रोग तब गंभीर माना जाता है जबकि आपकी याददाश्त बिल्कुल ही खत्म हो गई हो। इस रोग से बचने के लिए हमेशा से ही अपनी स्मरण शक्ति को बढ़ाने के उपाय करते रहने चाहिए।

yoga in hindi

क्या है डिमेंशिया

डिमेंशिया में इंसान के लिए कुछ भी याद रखना मुश्किल हो जाता है। वह थोड़ी देर पहले हुई बातों को भूलने लगता है। इतना ही नहीं डिमेंशिया से ग्रस्त लोग के लिए बातों को समझ पाना, संप्रेषित कर पाना भी बेहद मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी में कुछ समय के बाद उसे अपनी भी सुध-बुध नहीं रहती।


डिमेंशिया के कारण

डिमेंशिया का शिकार होने के दो कारण है पहला है मस्तिष्क की कोशिकाओं का नष्ट हो जाना और दूसरा उम्र के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं का कमजोर होना। यह तब होता है जब सिर पर कोई गंभीर चोट लगी हो या कोई रोग जैसे ब्रेन ट्यूमर, अल्जाइमर आदि जिससे कोशिकाएं नष्ट हो सकती है।


योगा से समाधान

यूं तो योगा आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है लेकिन क्या आप जानते हैं अपनी याददाश्त दुरुस्त रखने के लिए भी योग का सहारा लिया जा सकता है।


प्राणायाम और ध्यान

प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने के साथ आपके मस्तिष्क के लिए सर्वश्रेष्ठ दवा है। किसी समतल स्थान पर दरी या कंबल बिछाकर सुखासन की अवस्था में बैठकर नियमित रुप से रोज सुबह अनुलोम-विलोम करें और उसके बाद 10 मिनट तक ध्यान करें।


उष्ट्रासन

उष्ट्रासन से रीढ़ में से गुजरने वाली स्त्रायु कोशिकाओं में तनाव पैदा होता है। इसके चलते उनमें रक्त-संचार बढ़ जाता है। इससे याददाश्त तेज होती है। अगर आप रोज तीन मिनट भी इस आसन को करते हैं तो इससे आपको बहुत फायदा होता है।


चक्रासन

चक्रासन मस्तिष्क की कोशिकाओं में खून का प्रवाह बढ़ाने का काम करता है। इससे खून मस्तिष्क की उन कोशिकाओं में भी पहुंचना शुरू हो जाता है, जहां यह पहले नहीं पहुंच पाता था।  निस्तेज कोशिकाओं में खून का प्रवाह होते ही मस्तिष्क की पीयूष ग्रंथि से निकलने वाला हार्मोन दिमाग की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इसका नियमित अभ्यास आंख, मस्तिष्क आदि में फायदेमंद होता है।


त्राटक

पलक झपकाए बिना एकटक किसी भी बिंदु पर अपनी आंखें गड़ाए रखना त्राटक कहलाता है। त्राटक से मस्तिष्क के सुप्त केंद्र जाग्रत होने लगते हैं, जिससे याददाश्त में बढ़ोत्तरी होती है। याददाश्त का सीधा संबंध मन और उसकी एकाग्रता से है। मन की एकाग्रता में ही बुद्धि का पैनापन और याददाश्तर की मजबूती छुपी हुई होती है। त्राटक का नियमित अभ्यास एकाग्रता बढ़ाता है।  

इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्‍ट/कमेंट कर सकते है।

Image Source : Getty

Read More Article on Yoga in hindi.

Read Next

भ्रमण प्राणायाम के फायदे

Disclaimer