विश्व टॉयलेट दिवस : ब्लैडर और गर्भाशय कैंसर का कारण बनते हैं गंदे टॉयलेट, इन तरीकों से करें बचाव

हर साल 19 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर पर विश्व टॉयलेट दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का तात्पर्य अपने आसपास की जगह को खासकर टॉयलेट को साफ बनाना है। 
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विश्व टॉयलेट दिवस : ब्लैडर और गर्भाशय कैंसर का कारण बनते हैं गंदे टॉयलेट, इन तरीकों से करें बचाव

हर साल 19 नवंबर को राष्ट्रीय स्तर पर विश्व टॉयलेट दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का तात्पर्य अपने आसपास की जगह को खासकर टॉयलेट को साफ बनाना है। यह दिवस उन लोगों के बारे में जागरूकता लाने के लिए मनाया जा रहा है, जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है, जबकि यह उनका मूलभूत अधिकार है। क्या आप जानते हैं कि गंदे और बदबूदार सिर्फ हमारे मूड को ही गंदा नहीं करते बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बनते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल करने से व्यक्ति ब्लैडर और गर्भाशय कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकता है।

क्यों जरूरी है विश्व टॉयलेट दिवस मनाना

किसी भी राष्ट्रीय या अंर्तराष्ट्रीय दिवस को मनाने का लक्ष्य उसके प्रति जागरुकता फैलाना होता है। टॉयलेट के प्रति सावधानी बरतने, इन्हें साफ रखने और बीमारियों से बचने के लिए ही 19 नवंबर को विश्व टॉयलेट दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2014 के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व शौचालय दिवस का विषय ‘बराबरी, गरिमा तथा महिलाओं के साथ हिंसा और स्वच्छता के बीच संबंध’ रखा गया था। विश्व शौचालय यानि टॉयलेट दिवस के द्वारा निजता के अभाव में महिलाओं और बालिकाओं के साथ यौन हिंसा की आशंका और शौचालय के उपयोग में गैर-बराबरी के बारे में जागरूकता पैदा की जानी है। पिछले 4 सालों से लगातार इस दिवस को लोग गंभीरता से लेते हैं जिसके चलते महिलाओं की सुरक्षा के साथ ही गंदी टॉयलेट से होने वाली बीमारियां भी कम हुई हैं।

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गंदी टॉयलेट और ब्लैडर कैंसर

ब्‍लैडर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को ब्‍लैडर कैंसर कहते है। ब्लैडर की बाहरी दीवार की मांसपेशियों की परत को सेरोसा कहते हैं जो कि फैटी टिश्‍यू, एडिपोज़ टिश्यूज़ या लिम्फ नोड्स के बहुत पास होता है। ब्‍लैडर वो गुब्बारेनुमा अंग है जहां पर यूरीन का संग्रह और निष्कासन होता है। जब कोई व्यक्ति गंदी या यूरिनयुक्त टॉयलेट का बिना सावधानी से इस्तेमाल करता है तो ब्लैडर कैंसर होने का खतरा 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ब्लैडर की आंतरिक दीवार नये बने यूरीन के सम्पर्क में आती है और इसे मूत्राशय की ऊपरी परत कहते हैं। यह ट्रांजि़शनल सेल्स द्वारा घिरी होती है जिसे यूरोथीलियम कहते हैं।

ब्लैडर कैंसर के लक्षण

  • शौच या पेशाब के समय खून आना।
  • हमेशा बुखार रहना।
  • खांसने में खून आना।
  • स्तन में गांठ हो जाती है।
  • महावारी के दौरान अधिक खून आता है। 

ब्लैडर कैंसर का इलाज

इसका इलाज बहुत ही मुश्किल और महंगा होता है। कई बार सर्जरी के जरिए भी इसे ठीक किया जाती है और कई बार इलाज के चारों प्रकार का भी एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इलाज के ये चार प्रकार प्रमुख हैं-  

  • सर्जरी
  • इंट्रावेसीकल थेरेपी
  • कीमोथेरेपी
  • रेडिऐशन थेरेपी

गर्भाशय कैंसर

गर्भाशय कैंसर, सर्विक्स, यानी गर्भाशय के प्रवेश द्वार पर स्थित होता है जो विषाणु के संक्रमण को गर्भाशय में पहुंचने से रोकता है। यह कैंसर वंशानुगत नहीं होता। गर्भाशय कैंसर ह्यूमन पैपिलोमेवायरस (एचपीवी) विषाणु के संक्रमण द्वारा होता है जो सर्विक्स को संक्रमित करता है। यह सामान्य विषाणु है तथा जननांग के संपर्क से

गर्भाशय कैंसर की पहचान

स्क्रीनिंग टेस्ट विश्वसनीय तरीका नहीं है लेकिन कुछ हद तक इसके जरिये इस कैंसर की पहचान की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि गर्भाशय कैंसर के होने वाले लक्षणों को आफ नजरअंदाज ना करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। नियमित गायनेकॉलजी टेस्ट के दौरान गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के दो तरीके हैं। 

पहला तरीका- इस तरीके में ब्लड टेस्ट किया जाता है जिसमें प्रोटीन के जिसे सीए-125 कहते हैं का बढ़ा हुआ लेवल जांचते हैं।

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